नियम 134ए को लेकर प्राइवेट स्कूल स्कूल एसोसिएशन दो धड़ों में बंटती नजर आ रही हैं। स्कूलों में 10 फीसदी गरीब वर्ग के बच्चों के दाखिले को लेकर दोनों एसोसिएशन की अलग-अलग राय सामने आ रही हैं। एक जहां 134ए के तहत दाखिला पाने वाले विद्यार्थी खुद चुनने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ने स्कूलों का सहयोग करने की बात कहकर सरकार से इन विद्यार्थियों की शिक्षा का खर्च वहन करने की मांग कर डाली है। दूसरी ओर दाखिलों को लेकर शिक्षा विभाग सख्त होता नजर आ रहा है।
विभाग की ओर से साफ कर दिया गया है कि मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में गत वर्ष की तरह इस बार भी बीपीएल कार्डधारक परिवारों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा।
एक एसोसिएशन मिलेगी राहुल से, दूसरी सीएम से
जिले में मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की दो एसोसिएशन हैं। नियम 134ए को लेकर दोनों एसोसिएशन भी दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है। एक ओर प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा नियम को लागू करने के लिए सरकार से खर्च वहन करने की मांग की जा रही है तथा इसके विरोध में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात करने की बात कह चुकी है।
वहीं दूसरी हरियाणा स्कूल एसोसिएशन पदाधिकारियों का कहना है कि एसोसिएशन को कुछ सामान्य शर्तों के साथ 134ए के तहत 10 फीसदी गरीब वर्ग के बच्चों को स्कूल में पढ़ाने पर कोई एतराज नहीं है। इन शर्तों को मनवाने के लिए एसोसिएशन द्वारा इसी सप्ताह में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात करने की तैयारी की जा रही है।
स्कूलों को करने दें जरूरत मंद बच्चों का चयन
हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन राज्य प्रधान जवाहरलाल यादव का कहना है कि स्कूलों में नियम 134ए के तहत पढ़ाए जाने वाले बच्चों के चयन का अधिकार स्कूलों के पास ही होना चाहिए। राज्य प्रधान का तर्क है कि ज्यादातर निजी स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में ही बने हुए हैं। ऐसे में विभाग द्वारा 10 फीसदी सीटों पर पढऩे वाले बच्चों का चयन करने की बजाय स्कूल द्वारा ही चुनें जाने चाहिए, क्योंकि गांवों में किस बच्चे की आर्थिक स्थिति कमजोर है और किसे इस नियम के तहत पढ़ाई की जरूरत है, इस पर स्कूल संचालक ही बेहतर निर्णय ले सकते हैं। जबकि दफ्तरों में बैठे अधिकारी महज आवेदन के माध्यम से ही बच्चों का चयन करते हैं।
खर्च वहन करे सरकार
प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के जिला प्रधान सतबीर सिंह यादव का तर्क है कि यदि इस नियम को लागू करना है तो इसके लिए स्कूलों में दाखिला पाने विद्यार्थियों को सरकार की ओर से स्कॉलरशिप जैसी योजनाएं शुरू की जानी चाहिए, ताकि वे स्कूलों में फीस जमा करा सकें। यानि एक तरह से सरकार शिक्षा बजट में से विद्यार्थियों की शिक्षा खर्च का वहन करने में निजी स्कूलों का सहयोग कर सकती है।
134ए का विरोध गलत
विभाग अधिकारियों का कहना है कि निजी स्कूलों द्वारा नियम का विरोध गलत है। शिक्षा के अधिकार के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को भी शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना निजी स्कूलों का नैतिक कत्र्तव्य भी है।
विभाग अधिकारियों का कहना है कि निजी स्कूलों द्वारा नियम का विरोध गलत है। शिक्षा के अधिकार के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को भी शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराना निजी स्कूलों का नैतिक कत्र्तव्य भी है।
"नियम 134ए के तहत गत् वर्ष की ही तरह गरीब वर्ग के बच्चों के इस बार भी दाखिले किए जाएंगे। स्कूलों को नियमों का पालन करना चाहिए। जिस प्रकार के निर्देश विभाग की ओर से दिए जाएंगे जिले में भी लागू कर दिया जाएगा।"-- संगीता यादव, जिला शिक्षा अधिकारी, रेवाड़ी। dbrwd
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