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Wednesday, 19 February 2014

भर्ती में ताक पर रखे नियम

** आरोही स्कूल प्रिंसिपल की भर्ती पर उठे सवाल  
शिक्षा विभाग द्वारा 17 जून 2013 को आरोही स्कूल प्रिंसिपल पदों के लिए मांगे गए आवेदनों पर की गई भर्ती में खुले नियम-कायदों का उल्लंघन किया गया है। विभागीय अधिकारियों ने स्वयं ही बनाए गए नियमों की अवहेलना करके चहेतों की भर्ती कर दी। अधिकारियों ने कई उम्मीदवारों के साथ भेदभाव करते हुए उनके अनुभव होने के बावजूद भी कम अंक लगाकर फाइनल सूची में आने से रोक लिया।
शिक्षा विभाग ने 17 जून 2013 को आरोही स्कूल प्रिंसिपल पदों के लिए आवेदन मांगे थे। इसके लिए विभाग ने मापदंड तय किए गए। मापदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता व अनुभव को 50 अंक, लिखित परीक्षा को 20 तथा साक्षात्कार के लिए 30 अंक निर्धारित किए गए। इस मामले में अर्बन एस्टेट निवासी जगदीश ने आरटीआइ से जब जानकारी ली गई तो बताया गया कि दो साल के अनुभव के बाद छह माह पूरे करने पर 0.05 अंक प्रशासनिक अनुभव के लगाए जाएंगे, लेकिन भर्ती के दौरान ऐसा नहीं किया गया। चार ऐसे उम्मीदवार मिले, जिनका अनुभव ज्यादा होने के बाद भी उनके शून्य या कम देकर फाइनल चयन से बाहर कर दिया।
साक्षात्कार के अंकों पर भी उठे थे सवाल
आरोही स्कूल भर्ती में शैक्षणिक व अनुभव के अंकों को जोड़ने के बाद जो उम्मीदवार टाप फाइव में आ रहे थे, उनके साक्षात्कार में कम अंक लगाकर उनको बाहर का रास्ता दिखा गया यानी उनका चयन ही नहीं किया गया। विभाग ने बताया है कि सभी मदों के अंकों (शैक्षणिक, अनुभव, साक्षात्कार) को जोड़ने पर जिनके 50 प्रतिशत अंक बनेंगे, उनका ही चयन किया जाएगा, लेकिन यहां पर शैक्षणिक व अनुभव के अंक अन्य उम्मीदवारों से ज्यादा होने के बाद भी कई उम्मीदवारों को साक्षात्कार में कम अंक देकर बाहर का रास्ता दिखाया गया। 
उम्मीदवार नीलम कुमारी के तीन साल 10 माह का अनुभव था, जिस पर उसे 1.5 अंक मिलने चाहिए थे, लेकिन उसे शून्य अंक दे दिए गए। इसी प्रकार से पुष्प लता का चार साल 10 माह व 27 दिन का अनुभव था और उसे 2.5 अंक दिए जाने थे, लेकिन उसे भी 0.50 अंक दे दिए गए। इसी प्रकार से उम्मीदवार सुनील कुमार का तीन साल व चार माह का अनुभव था और उसे 1 अंक दिया जाना चाहिए था, लेकिन उसे भी शून्य अंक दिए गए। 
इसी प्रकार से विजेंद्र सिंह का तीन साल छह माह का अनुभव था और उसे 1.5 अंक दिए जाने थे, लेकिन उसे भी शून्य अंक दे दिए गए। इसके चलते ऐसे उम्मीदवार फाइनल में सिलेक्ट नहीं हो सके। कुल 50 प्रतिशत अंक पाने वालों का सूची में नाम आना था, लेकिन अनुभव के नंबर नहीं लगाकर अधिकारियों ने इन्हें सूची में शामिल होने से वंचित कर दिया।                                                           djjnd

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