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Saturday, 8 February 2014

डीईओ कार्यालय में लगा फाइलों का अम्बार

अम्बाला : उपायुक्त भले ही सिटिजन चार्टर को कड़ाई से लागू करने की जिला अधिकारियों को कितनी ही नसीहत दें लेकिन अम्बाला जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर में इन दिनों फाइलों के ढेर लगे पड़े हैं। कुछ फाइलें तो पिछले कई महीनों से कार्रवाई की इंतजार में हैं।
वजह यह है कि कि अम्बाला के जिला शिक्षा अधिकारी परमजीत शर्मा का 24 जनवरी को यमुनानगर तबादला हो गया था। उसके बाद से न तो कोई नया डीईओ आया और न ही किसी को इसका अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया। सबसे बड़ी बात यह है कि पैसे निकालने व जमा करवाने के लिए भी किसी को अधिकृत नहीं किया गया। पहले डीईओ के तबादला होने से पहले ही काफी फाइलें दस्तख्त की इंतजार में पड़ी थीं, बाद में नई फाइलों के आ जाने से अब तो फाइलों का अम्बार लग गया है।
अम्बाला के मान्यता प्राप्त स्कूलों के सेवानिवृत्त अध्यापकोंं की पेंशन के बिल पिछले साल दिसंबर से डीईओ के दफ्तर में पड़े हैं लेकिन आज तक उन पर कोई कारवाई नहीं हुई। सेवानिवृत्त अध्यापक संघ के प्रदेश सचिव कुंदन लाल का कहना है कि पिछले तीन महीनों से पेंशन का भुगतान न होने के कारण रिटायर्ड अध्यापक भारी परेशानी में हैं।  सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों के संगठन के प्रदेश सचिव रमेश बंसल व जिला अध्यक्ष महेन्द्र भटनागर का कहना है कि डीईओ के न होने से उनके पे बिल रुके पड़े हैं। सरकार से इन स्कूलों की ग्रांट भी आई पड़ी है, देरी होने की स्थिति में यह ग्रांट वापस भी लौट सकती है। बहुत सारे अध्यापकों की तो एसीपी  की फाइलें भी यहां धूल फांक रही हैं जिसके चलते उन्हें लाखों रुपए नहीं मिल पा रहे हैं।
जिले में करीब 150 सरकारी हाई व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों का छोटे मोटे कामों के लिए हर रोज डीईओ से वास्ता पड़ता है। हर रोज अध्यापक व मुख्याध्यापक अपने कामों के लिए डीईओ दफ्तर के चक्कर काटते रहते हैं लेकिन वहां उनकी सुनवाई करने वाला भी कोई नहीं है। इस दफ्तर में क्लर्कों के आठ पद खाली पड़े हैं इसलिए फाइलों की संभाल भी ठीक तरह से नहीं हो पा रही है।
नया जिला शिक्षा अधिकारी कब आएगा, इसका फिलहाल किसी को अंदाजा नहीं है। सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के अध्यापक अपने कामों के लिए रोज यहां आकर वापिस लौट जाते हैं। कोई जिम्मेदार अधिकारी यहां मौजूद न होने के कारण उन्हें सही जानकारी भी नहीं मिल पाती। यहां दो मौलिक ब्लॉक शिक्षा अधिकारी जरूर मौजूद हैं जिसकी वजह से प्राइमरी स्कूलों का तकरीबन ठाक-ठाक चल रहा है। अध्यापकों की मांग है कि यहां तुरंत नए डीईओ की नियुक्ति की जाए अथवा इस पद का अतिरिक्त कार्यभार किसी और अधिकारी को सौंपा जाए।                                                                      dt

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