** आधा दर्जन स्कूल ऐसे जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 50 से भी कम, जिले के स्कूलों में घट रही छात्र संख्या
जुलाना : स्कूल की बिल्डिंग भी अच्छी। शिक्षकों की संख्या भी पर्याप्त। स्कूल भी घर के नजदीक। बावजूद इसके स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 50 से भी कम। इन दिनों ऐसे हालात सरकारी स्कूलों के हो गए हैं। जुलाना खंड का जिक्र किया जाए तो यहां ऐसे प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की संख्या एक-दो नहीं आधा दर्जन हैं। इसी तरह से करीब चार दर्जन प्राइमरी व मिडिल स्कूल ऐसे हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या तीन अंकों में भी नहीं पहुंच पाई है। इससे साफ हो रहा है कि अभिभावकों का बच्चों की शिक्षा को लेकर सरकारी स्कूलों से पूरी तरह से मोहभंग हो गया है। इसी के चलते सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में लगातार घट रही है।
करोड़ों खर्च करने के बाद भी घट रही संख्या
सरकारी स्कू लों में छात्रों कर संख्या में बढ़ोतरी हो इसके लिए सरकार तमाम तरह के प्रयास कर रही है। हर वर्ष करोड़ों पर इस पर खर्च किए जा रहे हैं। दाखिला प्रक्रिया भी निजी स्कूलों से पहले ही मार्च माह में ही सरकारी स्कूलों में शुरू हो जाती है। इतना सबकुछ होने के बाद भी सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढऩे की बजाए घट ही रही है।
पढऩे वाले कम पढ़ाने वाले अधिक
क्षेत्र के कई राजकीय प्राइमरी व मिडिल स्कूल ऐसे हैं जहां पर स्कूल में एक कोचिंग सेंटर से भी कम बच्चे हर रोज पढऩे के लिए आते हैं। जबकि इन स्कूलों में अध्यापकों के साथ, क्लर्क, चपरासी, मिड-डे मील कर्मियों की संख्या नाम्र्स से कहीं अधिक है।
इन स्कूलों में है विद्यार्थियों की संख्या 50 से भी कम
स्कूल का नाम छात्र संख्या
जीजीपीएस बख्ता खेड़ा 37
जीजीपीएस मेहरड़ा 46
जीएमएस देशखेड़ा 39
जीएमएस गोसाईंखेड़ा 47
जीएमएस जैजैवंती 48
जीएमएस राजगढ़ 46
जिले के सरकारी स्कूलों में एक साल में घटे 6885 विद्यार्थी
जिले भर के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की बात की जाए तो इनमें एक साल में ही छात्र संख्या में भारी कमी आई है। पिछले शैक्षणिक सत्र में 1-8 तक के स्कूलों में कुल 69124 विद्यार्थियों ने दाखिला लिया था। जबकि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में 62239 विद्यार्थी दाखिल हुए हैं। यानि 6885 विद्यार्थी इस बार सरकारी स्कूलों में कम दाखिल हुए हैं।
संख्या में कमी के लिए अध्यापक ही जिम्मेदार
"सरकारी स्कूलों में छात्रों की घट रही संख्या के लिए सबसे पहले कुछ अध्यापक जिम्मेदार हैं। वे स्कूलों में पढ़ाई नहीं करवाते। इस कारण सभी सरकारी स्कूल बदनाम हो जाते हैं। इसके साथ-साथ समाज का बदला रवैया भी सरकारी स्कूलों में घट रही छात्र संख्या के लिए जिम्मेदार है। हालांकि उनके स्कूल में पिछले बार से इस बार तीन विद्यार्थी अधिक दाखिल हुए हैं।"--हेड टीचर राजकीय मिडिल स्कूल देशखेड़ा।
"सरकारी स्कूलों के अध्यापकों से नॉन टीचिंग का कार्यभार अधिक है। वहीं पर व्यक्तिगत कार्यों के लिए बीईओ या डीईईओ/ डीईओ पर निर्भरता है। दाखिले के समय सरकारी स्कूलों की गई छुट्टी के कारण भी इस बार सरकारी स्कूलों में दाखिला प्रक्रिया प्रभावित हुई है। इसी के चलते सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में कमी आई है।"--रमेश मलिक, प्रदेशाध्यक्ष हरियाणा मास्टर वर्ग एसो.।
"सरकारी स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया अभी भी जारी है। इससे छात्रों की संख्या में और बढ़ोतरी होगी। जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या के मुकाबले अध्यापक अधिक हैं। उन्हें रेशनेलाइजेशन के तहत वहां से दूसरे स्थान पर भेजा जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया जारी है।"--जोगेंद्र सिंह हुड्डा, जिला शिक्षा अधिकारी जींद। db
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