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Saturday, 28 June 2014

शिक्षा विभाग के बेसमेंट में धूल फांक रहीं 1 हजार से ज्यादा मैगजीन

** लाइब्रेरी में रखे जाने की बजाय एजुकेशनल मैगजीन की हो रही बेकद्री, डायरेक्टर के आदेश का भी नहीं असर
पंचकूला : जिन मैग्जीन को स्कूलों की लाइब्रेरी में होना चाहिए था, स्कूल के बच्चों को पढऩे को मिलनी थी, वे मैग्जीन सेक्टर-5 स्थित शिक्षा सदन की बेसमेंट में पड़ी हैं। वैसे तो अधिकारी इस बारे में डीईओ को इन्हें स्कूलों में पहुंचाने के आदेश दे चुके हैं, लेकिन शायद डीईओ पर डायरेक्टर के आदेशों को असर ही नहीं होता है। तभी तो ये मैग्जीन यहां पड़ी हैं। 
सबसे बड़ी तो यह है, कि इन्हें स्कूलों में पहुंचाने के आदेश हैं। इन्हें बच्चों के लिए छपवाया जाता है। ताकि उनका सामान्य ज्ञान भी बना रहे। लेकिन इस काम में शिक्षा विभाग के डिस्ट्रिक्ट एजूकेशन ऑफिसर रूचि ही नहीं दिखा रहे हैं। 
इसलिए बनाई गई मैग्जीन: 
हरियाणा के शिक्षा विभाग ने शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए इन मैग्जीन को निकालना शुरू किया, ताकि इसमें लिखे गए अनुभवी लेखकों व शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे अग्रणीय अधिकारियों के लिखे लेख छापे गए हैं, ताकि स्टूडेंट्स जागरूक हों और शिक्षा में आए नए बदलावों से भी अवगत होते रहें। इसमें लिखी जानकारी से वे लोग जो कम पढ़ लिखे होने के कारण अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दे रहे वे भी ध्यान दें। स्टूडेंट्स को देश व पूरे विश्व में चल रहे मुद्दों का ज्ञान हो और वे पूरे शिक्षा के साथ साथ खेल व अन्य एक्टीविटीज के लिए भी जानकारी प्राप्त कर सकें और सिर्फ किताबी कीड़े न बनें इसी लिए ये मैग्जीन छापी जाती है। इनमें टीचर्स को भी टीचिंग के नए मैथड की जानकारी मिलती है। इस मैग्जीन में लिखा हर आर्टिकल स्टूडेंट्स को उनके हक के लिए भी जागरूक करता है जैसे स्टूडेंट्स से कोई स्कूलों में निजी काम नहीं करवा सकता, शारीरिक दंड नहीं दिया जा सकता आदि। 
21 हजार कॉपी पर आता है 2.91 लाख का खर्च
हरियाणा सरकार इस मैग्जीन की 21000 कॉपी हर महीने छपवाता है, जिसपर सरकार के लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। मैगजीन की एक कॉपी बनाने में विभाग 13 रुपए 30 पैसे खर्च कर रहा है। 21000 कॉपी को बनाने में विभाग 291900 रुपए खर्च कर रहा है। 
डीईओ को लेटर भेजे गए हैं, हैंडओवर कर देंगे: वीरेंद्र
सेकेंडरी एजूकेशन डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोजेक्ट मैनेजर वीरेंद्र ने इसके बारे में बताया कि हर महीने यहां 21000 मैग्जीन प्रिंट की जाती हैं। जिसमें से 20352 कॉपी स्कूलों के स्टूडेंट्स के लिए भेज दी जाती हैं और बाकी की बची 748 कॉपीयों में से कई कॉपी विभाग के सेमिनार और अन्य प्रोग्रामों में भी प्रयोग की जाती हैं और हर विभाग में भी दो-दो कॉपी पढऩे के लिए रख दी जाती हैं। बेसमेंट में 17 एडिशन की बची हुई बाकी की कई कॉपी रखीं गई हैं। इन कॉपी के लिए हमने सभी डीईओ ऑफिसों में ऑफिशियल लेटर भी भिजवा दिए हैं ताकि वे इन कॉपीज को अपने स्कूलों की लाइब्रेरी में रखवा दें। अब जैसे ही वे आएंगे ये कॉपीज उनको हैंडओवर कर दी जाएंगी।                                                                 db

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