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Monday, 30 June 2014

196 जेबीटी पर रेशनेलाइजेशन की गाज

** बच्चों की संख्या संतोषजनक न होने पर सरकारी स्कूल में की थीं पाठशालाएं मर्ज 
प्रदेश भर के 400 सरकारी स्कूलों को नजदीकी विद्यालयों में मर्ज करने के बाद अब 196 जेबीटी पर शिक्षा विभाग ने रेशनेलाइजेशन की गाज गिराई है। छात्र संख्या के हिसाब से इन शिक्षकों को रेशनेलाइजेशन के तहत दूसरे सरकारी स्कूलों में भेजा गया है। विभाग ने दो माह पहले ही प्रदेश भर के सभी जिला मुख्यालयों से जेबीटी विद्यालयों की छात्र संख्या मांगी थी। मौलिक शिक्षा निदेशालय डायरेक्टर जनरल द्वारा जारी की गई सूची में अकेले भिवानी जिला के 17 जेबीटी शिक्षक शामिल हैं, जिन्हें अब नए विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने के लिए जाना होगा। इतना ही नहीं भिवानी जिले में 24 राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं को नजदीकी विद्यालयों में मर्ज किया गया था। प्रदेश भर में ऐसे विद्यालयों की संख्या 400 थी। अंबाला में 9, फतेहाबाद में 8, गुड़गांव में तीन, सोनीपत में 12 यमुनानगर में केवल 4 शिक्षकों पर ही रेशनेलाइजेशन की गाज गिरी है। 
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान जंगबीर कासनिया ने बताया कि सरकार रेशनेलाइजेशन के नाम पर सरकारी पाठशालाओं को बंद कर रही है, जबकि बुनियादी सुविधाओं की कमी दूर करने की ओर कोई ध्यान नहीं है। एक तरफ तो आरटीई के तहत बच्चों को मौलिक शिक्षा का अधिकार देकर सभी बच्चों की शिक्षा का दावा हो रहा है, लेकिन आज भी प्रदेश में सरकारी स्कूल खुद के भवन के बजाय धर्मशाला या फिर चौपालों में लग रहे हैं। इसके विरोध में 8 जुलाई को प्रत्येक जिला मुख्यालय पर डीपीईओ को ज्ञापन सौंपा जाएगा और 15 जुलाई को शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन करेंगे। डीईईओ सतबीर सिंह सिवाच ने बताया कि रेशनेलाइजेशन के तहत जेबीटी अध्यापकों को रिक्त पदों में समायोजित किया गया है। आरक्षित श्रेणी के मद्देनजर केवल जूनियर अध्यापकों को ही स्थानांतरित किया गया है
बच्चों और शिक्षकों को लगानी होगी स्कूल पहुंचने के लिए दूर तक दौड़ 
रेशनेलाइजेशन नीति के तहत मर्ज हुए विद्यालयों में बच्चों को अब दूसरे स्कूलों तक पहुंचने के लिए करीब एक किलोमीटर अधिक तक का ज्यादा सफर तय करना होगा तो गुरुजी भी 10 से 15 किलोमीटर तक का हर रोज सफर कर स्कूल पहुंचेंगे। सूत्रों की माने तो जिन विद्यालयों में बच्चों की संख्या एक सौ तक रही है, उन्हें भी तालाबंदी के कगार तक पहुंचा दिया है। नियम के अनुसार तो जिन पाठशालाओं में 25 से कम बच्चों की संख्या रही है, उन्हें ही मर्ज किया जाता है।                                             dbbhwn

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