हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड के दसवीं के 40 हजार प्रमाणपत्रों में बड़ी गड़बड़ियां पाए जाने से पता चलता है कि कितने सतही तरीके से दायित्व निपटाया जा रहा है। बोर्ड के अधिकारी संस्था व स्वयं की साख का भले ही ध्यान न रखें पर भावी पीढ़ी की पीड़ा तो समझनी चाहिए। आरंभिक स्तर पर इतने प्रमाणपत्रों का पता चल गया, जांच परिपक्व होने पर यह संख्या काफी अधिक भी हो सकती है। प्रमाणपत्र में फोटो व हस्ताक्षर प्रिंट गायब होने, एनरोलमेंट नंबर व जन्मतिथि गलत होने जैसी गड़बड़ियों की भरमार है। ऐसे प्रमाणपत्र तो विद्यार्थियों को भेजे नहीं जा सकते, लिहाजा वे दोबारा छपवाने होंगे, जिसमें समय और संसाधन, दोनों का नुकसान होगा। सरकारी कामकाज की गति और प्रक्रिया की पेचीदगियां किसी से छिपी नहीं। नए सिरे से प्रमाणपत्र तैयार करने में काफी समय लगेगा और इसके लिए विद्यार्थियों को मानसिक पीड़ा ङोलने पर मजबूर होना पड़ेगा। शिक्षा बोर्ड का ऑनलाइन कार्य करने वाली फर्म से कड़ाई से पेश आना चाहिए। क्या ठेका देने से पहले उसकी साख के बारे में तफतीश की गई थी? इतने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का यह अर्थ भी है कि उक्त फर्म के पास दक्ष कर्मचारी नहीं और किसी की अक्षमता का दुष्परिणाम हजारों बेकसूर बच्चे क्यों भुगतें। फर्म के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे काली सूची में डालने में भी नहीं हिचकना चाहिए। इस तथ्य को भुलाया नहीं जा सकता कि शिक्षा विभाग की तरह शिक्षा बोर्ड भी हमेशा प्रयोगवाद के लिए अति तत्पर रहा है और परिणति भी दोनों की लगभग एक जैसी रही। अधिकतर प्रयोगों का असर विपरीत रहने से साख और विश्वसनीयता धूमिल हुई। आठवीं कक्षा की परीक्षाएं अलग किए जाने से शिक्षा बोर्ड पर काम का दबाव कम हुआ पर कार्यक्षमता में जरा भी वृद्धि नहीं दिखी। आठवीं की परीक्षा में सबसे अधिक विद्यार्थी बैठते थे और परीक्षा संचालन में बोर्ड अधिकारियों के पसीने छूट जाते थे। अब इस परीक्षा को फिर बोर्ड से जोड़ने की तैयारी चल रही है। कई अन्य मामलों में भी बोर्ड व विभाग यू-टर्न ले चुके। बोर्ड के कार्य दायित्व निजी फर्मो को सौंपने से पहले उनकी प्रतिष्ठा व कार्यप्रणाली की जांच के लिए वृहद व पारदर्शी तंत्र का विकास होना चाहिए। बोर्ड प्रशासन सुनिश्चित करे कि विद्यार्थियों को किसी स्तर पर परेशानी न ङोलनी पड़े और उनकी एकाग्रता कायम रहे। नीति निर्धारण और कार्य व्यवहार में दक्षता, परिपक्वता लाने के लिए शिक्षा बोर्ड को गहन मंथन करना होगा। djedtrl
1 comment:
Agar koi school exam form bharne mein galti karta hai ya late ho jata hai to board school per fine lagata hai to kaya is treh ki galti karne per board per fine nahi lagna chahiye
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