** दिल्ली यूनिवर्सिटी और यूजीसी के झगड़े में फंसे हजारों छात्र, वीसी को हटाने के लिए राष्ट्रपति के पास जा सकती है सरकार
नई दिल्ली : स्नातक स्तर पर चार वर्षीय पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) को खत्म करने पर डीयू और यूजीसी के बीच छिड़ी जंग में हजारों छात्र फंसकर रह गए हैं। इसी वजह से यूनिवर्सिटी में मंगलवार से शुरू हो रही प्रवेश प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। अब मंगलवार को आने वाली पहली कटऑफ लिस्ट नहीं आएगी। डीयू की प्रिंसिपल एसोसिएशन ने फैसला किया है कि स्पष्ट आदेश आने तक वे प्रवेश प्रक्रिया को शुरू नहीं करेंगे।
इस बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक बार फिर डीयू को अपने आदेश की अनुपालन रिपोर्ट भेजने के लिए रिमाइंडर भेजा है। केंद्र सरकार के कड़े रुख और यूजीसी की चेतावनी के बावजूद दिल्ली विश्वविद्यालय अपने रुख पर अड़ा हुआ है। उधर, डीयू ने सभी कॉलेजों को यूजीसी के फैसले की प्रति भेज दी है। यूजीसी ने डीयू और सभी 64 कॉलेजों के लिए आदेश जारी किया था कि चार वर्ष के पाठ्यक्रम की बजाय अब से तीन वर्ष के कोर्स के तहत ही एडमिशन किए जाएं। इससे पहले यूनिवर्सिटी की प्रिंसिपल एसोसिएशन की आपात बैठक के बाद अध्यक्ष एसके गर्ग ने कहा कि मंगलवार से शुरू हो रहे दाखिले की प्रक्रिया पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। जब तक इस संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी नहीं होते हैं, तब तक दाखिले नहीं किए जाएंगे। यह फैसला छात्रों और अभिभावकों की सुविधा को देखते हुए लिया गया है। यूजीसी की चेतावनी, ग्रांट रोकने की धमकी, एफवाईयूपी डिग्री को अवैध घोषित करने के बावजूद डीयू की ओर से इस पाठ्यक्रम को निरस्त करने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है। मानव संसाधन मंत्रालय में डीयू के कुलपति दिनेश सिंह की नाफरमानी से खलबली मच गई है। उच्च स्तरीय बैठक में कुलपति को हटाने के बारे में भी विचार किया गया। कुलपति को हटाने के लिए मंत्रालय को सीधे राष्ट्रपति से अनुरोध करना होगा। हालांकि अभी इस पर असमंजस बना हुआ है। उधर, दिनेश सिंह के अड़ियल रवैये के पीछे भी माना जा रहा है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं का उन्हें समर्थन है। उन्हें समझाया गया है कि वे दबाव में फैसला बदलने के बजाय पद से हटना ही पसंद करें। भाजपा के इशारे पर मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष तथा मंत्रालय के अफसरों को स्पष्ट निर्देश दे दिया है कि किसी भी स्थिति में इस फैसले को रद कराया जाए।
चार साल के डिग्री कोर्स को खत्म करने पर कांग्रेस भी एनडीए सरकार के साथ
दिल्ली यूनिवर्सिटी के चार साल के डिग्री कोर्स को खत्म करने को लेकर भाजपा और वामदल ही नहीं बल्कि अब कांग्रेस भी सहमत हो गई है। पार्टी का कहना है कि उसके कार्यकाल में इसे प्रयोग के तौर पर लागू किया गया था, जो कि सफल नहीं हुआ। इसलिए पार्टी भी मानती है कि छात्रों के फायदे को देखते हुए डिग्री कोर्स को तीन साल का कर देना चाहिए। हालांकि कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने एनडीए का विरोध करते हुए कहा कि मोदी सरकार सत्ता में आते ही पुराने फैसलों को बदलने का काम कर बदले की राजनीति कर रही है। मगर छात्रों और लोगों के गुस्से को देखते हुए पार्टी ने शाम आते आते स्पष्ट कर दिया कि वे भी चार साल के कोर्स को हटाने के पक्ष में है। कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने कहा कि छात्रों के हितों को देखते हुए पार्टी भी चाहती है कि तीन साल के कोर्स को जारी रखा जाए।
"इस मामले में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यूजीसी और डीयू को आपसी सहमति से इस समस्या का हल निकालना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों का कीमती समय नष्ट न हो। यूजीसी सर्वोच्च संस्था है। इसलिए सभी विश्वविद्यालयों को उसके दिशानिर्देश मानने होंगे।"--स्मृति ईरानी, मानव संसाधन मंत्री
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