कैथल : सरकारी स्कूलों में शुक्रवार से छठी से आठवीं कक्षा तक की परीक्षाएं शुरू हुईं। करीब पांच साल बाद शुरू हुई परीक्षाओं से विद्यार्थी असमंजस में दिखाई दिए।
दूसरे स्कूलों से पहुंचे अध्यापकों ने बच्चों की परीक्षा ली। हालांकि आठवीं कक्षा तक फेल किए जाने पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों में विशेष भाव नजर आया। सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली रीना, सोनिया व टीना ने बताया कि कई सालों बाद स्कूलों में वार्षिक परीक्षा का आयोजन किया गया है।
पूरे साल के आधार पर प्रश्न पत्र
पहले उन्हें केवल द्वितीय सेमेस्टर के हिसाब से तैयारी करवाई जा रही थी। लेकिन बाद में पता चला कि पूरे साल में की गई पढ़ाई के हिसाब से ही प्रश्न पत्र आएगा। जिस कारण कुछ परेशानियां हुई हैं। प्रश्न पत्र भी बोर्ड की ओर से भेजा गया। जबकि परीक्षा के लिए दूसरे स्कूलों से अध्यापकों की ड्यूटी लगाई हुई थी।
वहीं अध्यापकों का कहना था कि सरकारी स्कूलाें में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। आए दिन किसी ना किसी प्रकार की गतिविधियाें में विद्यार्थियाें व अध्यापकों को उलझाए रखा जाता है जिससे बच्चाें को परीक्षाआें की तैयारियाें के लिए समय ही नहीं मिलता और उसके बाद बच्चाें की तुलना प्राईवेट स्कूलाें के बच्चाें से की जाती है। अब पहले तो बच्चाें की ऐसी मानसिक स्थिति बना दी कि किसी विद्यार्थी को फेल नहीं किया जाएगा और अब परीक्षाएं ली जा रही है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जखौली अड्डा की प्रधानाचार्या शशी गुलाटी ने बताया कि कक्षा छठी का हिंदी, सातवीं कक्षा का अंग्रेजी व आठवीं कक्षा का गणित विषय को पेपर हुआ। जिसमें शेरगढ़ स्कूल का स्टाफ आया हुआ था। परीक्षाएं शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न हुई। कुछ बच्चे मानसिक रुप से परीक्षा के लिए तैयार नहीं थे। au
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