नई दिल्ली : नई शिक्षा नीति के लिए राष्ट्रव्यापी मशविरे की प्रक्रिया को लेकर कई राज्यों ने अपनी असमंजस की स्थिति जाहिर कर दी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि इसके लिए सभी राज्यों के गांवों में बड़ी संख्या में बैठकें आयोजित कर लोगों की राय ली जाए। पहली बार इतने व्यापक स्तर पर रायशुमारी को लेकर कई राज्य परेशान हैं। वहीं, मंत्रलय के लिए इस काम में भागीदार राष्ट्रीय शैक्षिक योजना और प्रशासन विश्वविद्यालय (न्यूपा) के विशेषज्ञ भी इसको लेकर पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक कई राज्य सरकारों ने इस संबंध में बहुत से सवाल किए हैं। कुछ ने कहा है कि इतने व्यापक मशविरे के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। कुछ ने इसके लिए समय की कमी का हवाला दिया है। कुछ ने तो इस पूरी प्रक्रिया के लाभ पर ही सवाल उठा दिए हैं, मगर मंत्रलय ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आम लोगों की राय लेने के इस प्रयास से पीछे हटने को तैयार नहीं है। अधिकारी बताते हैं कि इस काम की पूरी प्रक्रिया राज्यों के साथ साझा की जा रही है। इसके बाद यह बहुत मुश्किल नहीं होगा। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी का जमकर सहारा लिया जा रहा है। गांवों में लोगों से मशविरे के बाद पूरे नतीजों को वेबसाइट पर डाला जाएगा। इसके बाद यह प्रक्रिया ब्लॉक, जिला और राज्य के स्तर पर भी अपनाई जाएगी। दिसंबर तक नई शिक्षा नीति तय कर ली जानी है। उधर, न्यूपा के विशेषज्ञों का कहना है कि देश की शिक्षा नीति निर्धारित करने के लिहाज से यह प्रक्रिया तार्किक नहीं लग रही। dj
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