बिलासपुर : एससीईआरटी की ओर से ली जा रही मिडल कक्षा की परीक्षा में स्टूडेंट्स से उत्तर की बजाय प्रश्न पूछे गए। इसमें जवाब दिए गए थे स्टूडेंट्स को इनके प्रश्न लिखने थे। इस स्टाइल से अनभिज्ञ स्टूडेंट्स एक दूसरे का मुंह ताकने के सिवाय कुछ कर सके।
इन दिनों सरकारी स्कूलों में मिडल कक्षा की परीक्षाएं चल रही है। प्रश्न पत्र एससीईआरटी गुड़गांव की ओर से भेजे गए हैं। छठी से आठवीं कक्षा तक के परीक्षार्थियों को 75 अंकों का पेपर दिया जा रहा है। लेकिन जो स्टाइल राज्य परिषद ने अपनाया है। उससे तो टीचर ही परिचित है ही स्टूडेंट्स। ऐसे में बच्चे खाली पेपर देने के सिवाय कर भी क्या सकते थे। शनिवार को हुए छठी कक्षा के अंग्रेजी के पेपर में बच्चों को उत्तर दिए गए। जिनके उन्हें प्रश्न लिखने थे। उदाहरण के तौर पर आईएम फाइन। इसका प्रश्न स्टूडेंट्स को बनाना था। इसके अलावा अन्य प्रश्न भी ऐसे ही थे जो सीधे की बजाय घुमाकर पूछे गए थे। इसी तरह के पेपर दूसरी कक्षाओं में दिए गए। बच्चों का कहना है कि काफी मुश्किल पेपर रहे हैं। एससीईआरटी ने जनवरी में यह निर्णय ले लिया कि मिडल कक्षाओं से पूरे सेलेबस में से परीक्षा ली जाएगी। आधे सेलेबस में से परीक्षा ले चुके शिक्षकों ने इसे भूला दिया था। ऐसे में पूरे सेलेबस से पेपर देना ही परीक्षार्थियों के लिए भारी पड़ गया। ऊपर से पेपर का स्टाइल नया होने से रही सही कसर पूरी हो गई।
बच्चों के लेवल का नहीं
"शिक्षा विभाग इस तरह के प्रयोग कर शिक्षा के विनाश पर तुला है। सरकार शिक्षा के निजीकरण के सपने ले रही है। लेकिन इसे पूरा नहीं होने दिया जाएगा। बच्चों के लेवल का कतई नहीं किया गया है। इस बारे में तो विभाग बोर्ड ने कभी बताया कि पेपर का स्टाइल कैसा होगा। शीघ्र ही निदेशक शिक्षा मंत्री से मिल कर बातचीत की जाएगी।"-- गुरमीतसिंह, जिला प्रधान, हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ db
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