अभी महज उसे तैयार कर प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। जबकि नए सत्र के लिए सिलेबस छपने के लिए भी जा चुका है। अब नया शिक्षा सत्र शुरू होने में महज दस ही दिन शेष हैं, ऐसे में कोई संभावना नहीं है कि विद्यार्थियों को सिलेबस के रूप में गीता पढ़ाई जा सके। एससीईआरटी की मुखिया इस तथ्य को स्वीकार भी कर चुकी हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार गीता के लिए अभी तक सिर्फ मौखिक घोषणाएं हुईं हैं, उसके लिए विभागीय औपचारिक मंजूरी प्रदेश सरकार से समय पर नहीं मिल सकी है।
नैतिक शिक्षा के लिए हुई थी घोषणा
विदित हो कि विभिन्न मंचों से सीएम मनोहर लाल खट्टर और शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने अनेक अवसरों पर नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गीता का उपदेश श्लोकों के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की घोषणा की थी और हर बार कहा गया था कि इसी सत्र से स्कूली पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाएगा, लेकिन घोषणाएं विभागीय स्तर पर समय से अमल में नहीं लाई जा सकीं।
इसी देरी के कारण समय निकल गया। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार की ओर से स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च एंड ट्रेनिंग संस्थान यानि एससीईआरटी के टेस्ट बुक डिपार्टमेंट को पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। db
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