सरकार की सबसे बड़ी समस्या बन चुका गेस्ट टीचर्स का मुद्दा वर्षो से आस-निराश के भंवर में झूल रहा है। कड़वी हकीकत है कि समाधान से अधिक मेहनत आश्वासन देने में की गई। धर्मसंकट की बात कह कर जिम्मेदारी से बचा नहीं जा सकता, यहां राजधर्म और न्यायधर्म के बीच संतुलन बना कर ठोस परिणाम दिखाने से ही सरकार की नीति, नीयत और जिम्मेदारी-जवाबदेही का सही आकलन संभव होगा। भीषण आशंका से घिरे 16 हजार गेस्ट टीचरों और उनके परिजनों को उम्मीद की किरण फिर दिखाई दी है। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि गेस्ट टीचरों को हटाया नहीं जाएगा। कोर्ट के आदेशों के आलोक और सरप्लस दिखा कर निकाले गए 528 अतिथि अध्यापकों को फिर से समायोजित किया जाएगा। गेस्ट टीचर ने सरकार पर एक बार फिर विश्वास करते हुए 10 अप्रैल तक आंदोलन स्थगित भी कर दिया। कई बातों पर स्थिति अभी स्पष्ट की जानी है। वर्तमान और भविष्य पर गहरा अंधेरा छा जाने के बाद गेस्ट टीचरों ने सीएम सिटी करनाल में परिवारों सहित महापड़ाव डाल कर सरकार को यह अहसास दिलाने की कोशिश की कि अनिश्चितता से उन्हें उबारा जाए क्योंकि भर्ती के नियम सरकार ने ही बनाए थे और वही नियमों से मुंह मोड़ने की कोशिश क्यों कर रही है? इन अध्यापकों के बारे में अर्से से कोई समाधान न निकलने के भी कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। पहला तो यह कि सरकार की ओर से कभी गंभीर कोशिश नहीं की गई क्योंकि यदि ऐसा होता तो कोर्ट में मजबूती से तथ्य एवं प्रमाण के साथ पैरवी की जाती। मंत्रिमंडल की बैठक में विशेष प्रावधान करके मुद्दे के समाधान की राह आसान बनाई जा सकती थी लेकिन नहीं बनाई गई। सरकार के सामने यक्ष प्रश्न है कि वह अपनी ही नीति को झुठलाने की कोशिश क्यों कर रही है? प्रयास ही आधे अधूरे मन से किया जाए तो बात साफ हो जाती है कि कामयाब होने की इच्छा ही नहीं, और जब इच्छाशक्ति न हो तो आश्वासनों का ढिंढ़ोरा क्यों पीटा जाए? नए आश्वासनों को देखते हुए यह सवाल भी उठ रहा है कि कानूनी बाध्यताओं, अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए आधार कैसे तैयार होगा? सरकार कोर्ट में कई ऐसे प्रमाण पेश कर चुकी है जिनमें गेस्ट टीचरों को हटाने की प्रतिबद्धता दिखाई गई, उसे कैसे दुरुस्त किया जाएगा? व्यापक समूह की बात है, इसलिए किसी स्तर पर तो सरकार को अपनी साख को बरकरार रखने के लिए साहस दिखाना ही पड़ेगा। djedtrl
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.