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Saturday, 28 March 2015

मान्यता हरियाणा बोर्ड की, किताबें निजी प्रकाशकों की

कैथल : मान्यता हरियाणा बोर्ड की और किताबें पढ़ा रहे निजी प्रकाशकों की। ये हो रहा है प्रदेश के अधिकतर निजी स्कूलों में। लेकिन इस ओर शिक्षा विभाग का कोई ध्यान नहीं है। किसी भी बोर्ड से मान्यता लेने के लिए उसके सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। लेकिन प्राइवेट स्कूल मोटे कमीशन के चक्कर में निजी प्रकाशकों की किताबें लगवाते हैं। इन महंगी किताबों का भार अभिभावकों की जेब पर पड़ता है, जबकि नियमों के अनुसार इन स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई होनी चाहिये। हैरत की बात है कि बोर्ड की मात्र 2 कक्षाओं दसवीं और बारहवीं को छोड़कर किसी भी कक्षा में एनसीईआरटी की किताबें नहीं पढ़ाई जाती।
नहीं लगा पा रहे अंकुश
हर जिले में डीईओ, डीईईओ, 3 डिप्टी डीईओ, खंड शिक्षा अधिकारी और खंड मौलिक शिक्षा अधिकारियों की फौज होने के बाद भी इन निजी स्कूलों पर किसी भी तरह की लगाम नहीं लग पा रही है। हरियाणा बोर्ड से मान्यता प्राप्त ये स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशों की अकसर पालना नहीं करते।
9वीं, 11वीं को तवज्जों नहीं
प्राइवेट स्कूल बोर्ड के परिणाम अच्छे लाने के चक्कर में बोर्ड की कक्षाओं का सिलेबस 2-2 साल पढ़ाते हैं। दसवीं की परीक्षा के लिए नौंवीं में ही दसवीं की पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं। 11वीं में ये स्कूल 12वीं की पढ़ाई कराते हैं। ऐसे में विद्यार्थी नौंवी तथा 11वीं कक्षा के सिलेबस से वंचित रह जाते हैं।
समय पर नहीं मिलती किताबें : जैन
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के जिला प्रधान वरुण जैन कहते हैं कि निजी स्कूलों एनसीईआरटी की ही किताबें पढ़ाई जाती हैं। लेकिन प्राइमरी तक की किताबें मार्केट में समय पर नहीं मिलती हैं। हम पर दबाव रहता है कि बच्चों की पढ़ाई जल्दी शुरू करवाई जाए। इसीलिए हमारे कई स्कूल संचालक निजी प्रकाशकों की पुस्तकें लगवाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कई बार सरकारी स्कूलों में ही कई-कई महीने बीत जाने के बाद किताबें आती हैं। ऐसे में भला प्राइवेट स्कूल संचालक कई-कई महीनों तक किताबों के इंतजार में पढ़ाई कैसे रोकें।
किसी स्कूल ने डिमांड ही नहीं भेजी, होगी कार्रवाई  
सर्व शिक्षा अभियान के जिला परियोजना संयोजक सुरेन्द्र मोर ने कहा कि प्राइवेट स्कूल संचालकों को भी बोर्ड का ही सिलेबस व किताबें पढ़ानी होती हैं। इसके लिए वो हमें डिमांड भेजें, तो हम किताबें मंगवाकर देते हैं। लेकिन किसी भी स्कूल ने अब तक ऐसी कोई डिमांड हमें नहीं भेजी। मोर ने कहा कि कि प्राइवेट स्कूलों में कमीशन का खेल चल रहा है। कई स्कूल खुद ही निजी प्रकाशकों की किताबें बेचते हैं। कई स्कूल संचालकों ने दुकानों पर सेटिंग कर रखी है। इस बारे में उन्हें शिकायतें भी मिली हैं। ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इस बारे में नहीं पता : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी डा़ॅ अशोक कुमार का कहना है कि उन्हें इस बारे पता नहीं। उन्होंने कहा कि यदि निजी स्कूल ऐसा कर रहे हैं तो गलत है। अगर कोई शिकायत आयेगी तो उस पर कार्रवाई की जायेगी। शिक्षा अधिकारी से जब यह पूछा गया कि क्या आप समय-समय पर निरीक्षण नहीं करते, तो उनका जवाब था कि वे स्कूल की अनियमितताओं को देखते हैं, वो क्या पढ़ा रहे हैं इस बारे में जांच नहीं कर सकते।
"जिस बोर्ड की मान्यता होती है उसी की किताबें भी पढ़ानी होती हैं। इस बारे में बोर्ड समय-समय पर स्कूलों को हिदायतें जारी करता रहता है। कक्षा नौवीं से बारहवीं तक तो हम किताबें होल सेलर्स को भेजते हैं। वहीं से किताबें बिकती हैं। कक्षा पहली से आठवीं तक सर्व शिक्षा अभियान ही किताबें भेजता है।"-- मीनाक्षी शर्मा, प्रवक्ता, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड                                                                         dt

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