** विभिन्न उच्च न्यायालयों से विरोधाभासी फैसले आने के बाद मामला सुप्रीमकोर्ट पहुंचा था
जिन लोगों ने 2009 से पहले एमफिल या पीएचडी की है और लेक्चरर बनने का सपना देख रहे हैं उनके लिए खबर अच्छी नहीं है। उन्हें एमफिल या पीएचडी की डिग्री होने के आधार पर नेट परीक्षा पास करने से छूट नहीं मिलेगी। सुप्रीमकोर्ट के फैसले के मुताबिक इन लोगों को भी लेक्चरर या सहायक प्रोफेसर बनने के लिए नेट परीक्षा पास करनी होगी।
यूजीसी ने 12 अगस्त 2010 और 27 सितंबर 2010 को दो प्रस्ताव पारित कर राय दी थी कि जिन लोगों ने 10 जुलाई 2009 से पहले एमफिल और 31 दिसंबर 2009 से पहले पीएचडी कर ली है उन सभी लोगों को लेक्चरर या सहायक प्रोफेसर बनने के लिए नेट परीक्षा पास करने से छूट होगी। लेकिन केंद्र सरकार ने 3 नवंबर 2010 को यूजीसी को लिखे पत्र में इससे असहमति जताते हुए साफ कहा था कि लेक्चरर या सहायक प्रोफेसर बनने के लिए नेट परीक्षा पास करना जरूरी है। इस मसले पर देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के अलग-अलग आदेश आने के बाद मसला सुप्रीमकोर्ट पहुंचा था।
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर व न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने विभिन्न याचिकाओं को खारिज कर कहा कि यूजीसी को केंद्र सरकार के निर्देशों के मुताबिक काम करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यूजीसी एक्ट की धारा 26 के मुताबिक यूजीसी के नियम केंद्र सरकार की नीतियों के अनुरूप ही होने चाहिए। केंद्र सरकार ने नियुक्तियों में उच्च मानदंड बनाए रखने के लिए ही लेक्चरर और सहायक प्रोफेसर पद के लिए कॉमन यूनीफार्म टेस्ट (नेट) परीक्षा पास करना न्यूनतम योग्यता तय की थी।
केंद्र सरकार ने ये आदेश धारा 20 के तहत जारी किया था और यूजीसी को इसी निर्देश के मुताबिक नियम बनाना चाहिए था। कोर्ट ने पीएचडी और एमफिल डिग्री रखने वालों की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके हित प्रभावित होने का मुद्दा तब आता जबकि उनकी लेक्चरर या सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति हो चुकी होती लेकिन ऐसा नहीं है। djndli
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