चंडीगढ़ : शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट खर्च करने के बावजूद हरियाणा में 10वीं और 12 वीं कक्षाओं में छात्रों के फेल होने की रफ्तार बढ़ गई है। सरकारी स्कूलों के टीचरों ने अपने पद पर बने रहने के लिए पिछले दिनों छात्रों को कक्षा 9वीं और 11वीं में मनमाने ढंग से नंबर दिए। जब यही बच्चे बोर्ड परीक्षाओं में बैठे तो वहां फेल हो गए।
हरियाणा महा लेखाकार (सीएजी) की ओर से हाल ही विधानसभा में पेश की गई ऑडिट रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हुई है। टीचर ही किस तरह से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि 10वीं और 12वीं के बाद छात्र-छात्राओं का करियर शुरू होता है।
हरियाणा की चीफ एकाउंटेंट जनरल महुआ पॉल ने गुरुवार को यहां मीडिया को बताया कि 12वीं कक्षा में पहले जहां 89.33 फीसदी छात्र पास होते थे, वहीं यह संख्या घटकर 71.16 प्रतिशत रह गई है। यही हाल 10वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं का है। पहले जहां 79.58 फीसदी बच्चे पास होते थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 49.78 प्रतिशत पर गई है। इसकी वजह यह है कि शिक्षा विभाग ने मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों का फीस ढांचा मानीटर नहीं किया। नमूना- जांच किए गए जिलों में अपग्रेडेड 91 स्कूलों में से 55 स्कूलों में क्लास रूम, विद्यार्थियों की संख्या, स्कूल परिसरों के क्षेत्र इत्यादि के निर्धारित मानक पूरे नहीं थे। db
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