** नौवीं तक लगातार पास होने वाले बच्चे दसवीं में हो जाते हैं ढेर
भिवानी : प्रदेश के लाखों छात्रों का अब आठवीं कक्षा में बगैर पढ़े ही पास होने का सिलसिला बंद होने जा रहा है। प्रदेश सरकार ने अगले शिक्षा सत्र से आठवीं कक्षा में बोर्ड की परीक्षाएं शुरू करवाने का फैसला किया है।
भिवानी : प्रदेश के लाखों छात्रों का अब आठवीं कक्षा में बगैर पढ़े ही पास होने का सिलसिला बंद होने जा रहा है। प्रदेश सरकार ने अगले शिक्षा सत्र से आठवीं कक्षा में बोर्ड की परीक्षाएं शुरू करवाने का फैसला किया है।
हाल ही में शिक्षा विभाग के वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव की अध्यक्षता में पंचकुला में अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है कि आगामी शिक्षा सत्र से आठवीं कक्षा में शिक्षा बोर्ड परीक्षाएं लेगा। इसकी तैयारियां अभी से शुरू कर दी जाए। इसी के तहत विभाग ने नए शिक्षा सत्र से आठवीं कक्षा में बोर्ड शुरू करने की तैयारी की गई है।
क्यों तोड़ा गया था बोर्ड :
तत्कालीन यूपीए सरकार ने सन 2006 में शिक्षा अधिकार कानून बनाया था। इस कानून के तहत प्रावधान किया गया था कि हर बच्चे को पढ़ने का अधिकार मिलना चाहिए। स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से ही अगली कक्षा में दाखिला देने का प्रावधान किया गया था। अब नई सरकार महसूस कर रही है कि इस प्रावधान के चलते प्रतिस्पर्धा समाप्त हो गई और बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। हरियाणा में आठवीं कक्षा में शिक्षा बोर्ड लागू करने के फैसले को लेकर शिक्षा बोर्ड व शिक्षा विभाग के दो उच्चधिकारियों ने पुष्टि की है।
2010 से स्कूल स्तर पर हो रही आठवीं कक्षा की परीक्षाए
आठवीं कक्षा में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा परीक्षा न लेने का फैसला किया गया था। इसका बच्चों पर विपरीत प्रभाव यह पड़ा कि छात्रों ने पढ़ाई को गंभीरता से लेना बंद कर दिया और बगैर पढ़े ही सीधे नौवीं कक्षा में दाखिला मिलने लगा। पिछले पांच साल से चल रहे इस सिलसिले को लेकर शिक्षा जगत ही नहीं, बल्कि अभिभावक भी परेशान होने लगे। नौवीं तक बगैर फेल होने वाले बच्चे दसवीं कक्षा में शिक्षा बोर्ड की परीक्षा का सामना करने में विफल होने लगे। dj
2010 से स्कूल स्तर पर हो रही आठवीं कक्षा की परीक्षाए
आठवीं कक्षा में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा परीक्षा न लेने का फैसला किया गया था। इसका बच्चों पर विपरीत प्रभाव यह पड़ा कि छात्रों ने पढ़ाई को गंभीरता से लेना बंद कर दिया और बगैर पढ़े ही सीधे नौवीं कक्षा में दाखिला मिलने लगा। पिछले पांच साल से चल रहे इस सिलसिले को लेकर शिक्षा जगत ही नहीं, बल्कि अभिभावक भी परेशान होने लगे। नौवीं तक बगैर फेल होने वाले बच्चे दसवीं कक्षा में शिक्षा बोर्ड की परीक्षा का सामना करने में विफल होने लगे। dj
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