फतेहाबाद / रेवाड़ी : सरकारी सेवा में समायोजन का सपना देख रहे सरकारी स्कूलों की कंप्यूटर फैकल्टी को हटाने के आदेश जारी हो गए हैं। कंप्यूटर टीचरों की भर्ती तीन कंपनियों के माध्यम से हुई थी। सरकार ने अनियमितता बरतने पर इन कंपनियों के कांट्रेक्ट रद्द कर दिए। दिलचस्प है कि कंप्यूटर टीचर ही नियोक्ता कंपनियों का कांट्रेक्ट रद्द करने की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे।
सेकेंडरी एजूकेशन विभाग के निदेशक एमएल कौशिक ने बताया कि तीनों कंपनियों श्रीराम न्यू हॉरीजन, भूपेंद्रा सोसायटी ट्रांसलाइन टेक्नोलॉजिस को टर्मिनेट कर दिया गया है। बैंक गारंटी को जब्त करके कंप्यूटर शिक्षकों का भुगतान किया जाएगा। इधर, आईसीटी के चीफ प्रोजेक्ट ऑफिसर एचआर सतीजा ने सोमवार को सभी डीईओ को कहा कि कंप्यूटर फैकल्टी की सेवाएं लेना बंद करे। प्रदेश के 2622 सरकारी स्कूलों में 19 अगस्त 2013 को कंप्यूटर टीचर लगाए गए थे।
इन पर नहीं लिया कंपनियों ने एक्शन
- कंपनियों ने कंप्यूटर शिक्षकों से वसूले गए 24 हजार रुपए नोटिस जारी करने के बाद 30 दिन के भीतर वापस नहीं लौटाए।
- कंपनियों ने अवैध तरीके से वसूली 2,250 रुपए की ट्रेनिंग फीस भी वापस नहीं लौटाई।
- कंपनियों ने कंप्यूटर शिक्षकों की सेलेरी से काटे गए फंड भी उनके अकाउंट में नहीं डाले।
8 करोड़ वसूले फिर भी वेतन लंबित
आवेदन के नाम पर कंप्यूटर शिक्षकों से 250 की जगह 750 रुपए वसूले गए। करीब 25 हजार युवाओं ने आवेदन किया था। कंपनियों ने नियुक्त किए गए 2722 कंप्यूटर शिक्षकों से 24-24 हजार रुपए सिक्योरिटी के नाम पर लिए। करीब 8 करोड़ रुपए वसूले गए। इसके बावजूद वेतन पूरा मिला और समय पर।
कंप्यूटर टीचर वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान बलराम धीमान महासचिव शशिभूषण का कहना है कि आखिरकार उनके आरोपों को विभाग ने भी सही माना है। कंपनियों का टर्मिनेट होना जरूरी था, लेकिन शिक्षकों की नौकरी छीनना गलत है। कंप्यूटर शिक्षकों को विभाग में मर्ज करने तक पंचकूला शिक्षा सदन के बाहर धरना जारी रहेगा। db
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