विभाग द्वारा एक महीने पहले फैसला लिया गया था कि जिन प्राइमरी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 60 से कम है उन्हें दूसरे स्कूलों मर्ज किया जाएगा। विभाग द्वारा उन स्कूलों की लिस्ट जारी कर दी थी जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 60 से कम है। इन स्कूलों को दूसरे स्कूलों में भेजा है। विभाग द्वारा स्कूलों को मर्ज करने का तो फैसला ले लिया गया, लेकिन यह भूल गया कि जिस स्कूल में बच्चों को भेजा जाएगा क्या वहां बच्चे जाएंगे भी या नहीं। राम स्वरुप पकौड़े वाली गली में बने मस्जिद वाले स्कूल को ही ले लो। विभाग ने इस स्कूल को अशोक नगर में मर्ज किया जाने का फैसला लिया है, लेकिन अब अध्यापकों को परेशानी यह हो रही है कि स्कूल मर्ज किये जाने पर कही विद्यार्थियों की संख्या कम न हो जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर बच्चे स्कूल के आस पास ही रहते हैं। अगर स्कूल मर्ज अशोक नगर में होता है तो बच्चे के अभिवावक बच्चों को अशोक नगर भेजने की बजाय अपने घर स्थित किसी अन्य स्कूल में बच्चे का दाखिला करवाएंगे। क्योंकि वह स्कूल उनके घर से नजदीक पड़ता है। ऐसा यह अकेला स्कूल नहीं है जहां यह परेशानी हो सकती है बल्कि जिले में ऐसे कई स्कूल है। इस समस्या ने अध्यापकों की परेशानी बढ़ा दी है।
स्कूलों को मर्ज करना सही नहीं
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राजपाल मित्ताथल ने बताया कि विभाग द्वारा स्कूलों मर्ज करने का जो फैसला लिया है वह बिल्कुल गलत है। इससे मर्ज होने वाले स्कूलों में बच्चों की कमी आएंगी। वह अभिभावकों को भी परेशानी उठानी पड़ सकती है। इसलिए विभाग इस बारे में फिर से सोच विचार करना चाहिए।
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