रेवाड़ी : शिक्षा विभाग ने दाखिले और अकादमिक कार्यों में हो रहे फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने के लिए कमर कस रहा है। अब स्कूल में फर्जी दाखिले हो सकेंगे, स्कूलों की डिटेल के लिए शिक्षा विभाग को मशक्कत करनी होगी। बस एक क्लिक पर पूरा डाटा स्क्रीन पर होगा।
स्कूलों में दाखिलों के नाम पर होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम कसेगा मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस)। एमआईएस के तहत बच्चों से लेकर स्कूल तथा स्टाफ का डाटा ऑनलाइन किया जाएगा तथा सभी का अपना कोड होगा। ये कोड प्रोसेस पूरा होने पर जनरेट हो जाएगा। योजना में थ्री-एस यानि स्कूल, स्टूडेंट स्टाफ पर जोर दिया गया है।
डाटा कलेक्ट करने में नहीं होगी मशक्कत
मुख्यालयको स्कूल, स्टाफ या बच्चों किसी प्रकार की जानकारी लेनी होती है तो जिला स्तर से लेकर स्कूल स्तर तक जानकारी जुटाई जाती है। इसमें काफी समय बर्बाद होता है। डाटा ऑनलाइन होने के बाद मुख्यालय से अधिकारी एक क्लिक पर ही डाटा कलेक्ट कर पाएंगे।
अगले स्कूल में बताना होगा कोड
यदि कोई बच्चा किसी स्कूल से दूसरे स्कूल में एडमिशन लेने जाता है तो उसे मात्र उसका एसआरएन कोड बताना होगा। उसकी स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाएगी। इससे स्कूल को दोबारा बच्चे की डिटेल ऑनलाइन करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बच्चे की रिकॉर्ड के साथ फोटो तक भी अपलोड की जाएगी। इसके अलावा बच्चों का परीक्षा परिणाम भी ऑनलाइन होगा।
ऑनलाइन कटेगी एसएलसी
बच्चे के डाटा ऑनलाइन करने के साथ ही बच्चे की स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट भी ऑनलाइन मिलेगी। एसएलसी ऑनलाइन ही ट्रांसफर भी हो जाएगी। वहीं एसएलसी तुरंत प्राप्त हो जाएगी तथा चक्कर लगाने का झंझट खत्म होगा। साथ ही फर्जी एडमिशन पर भी लगाम लगेगा।
हर बच्चे का होगा यूनिक कोड
एमआईएस सिस्टम के तहत बच्चों के रिकॉर्ड ऑनलाइन किए जाने का काम किया जा रहा है। इस सिस्टम के तहत प्रदेशभर के हर स्कूल का कोड होगा। स्कूल की स्थिति का रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा कि स्कूल में कितने स्टाफ सदस्य तथा बच्चे हैं। स्कूल की लोकेशन क्या है, यह ग्रामीण क्षेत्र में है या शहरी में जैसे अन्य डिटेल होंगी। इसके अलावा प्रत्येक बच्चे को एक यूनिक कोड दे दिया जाएगा। इसके आधार से बच्चा जहां भी पढ़ेगा उसकी डिटेल विभाग की वेबसाइट पर होगी। इस डिटेल में बच्चे के आधार कार्ड, बैंक अकाउंट, बैंक आईएफसी कोड, माता की डिटेल, पिता की डिटेल, मेल एड्रेस, बच्चे के परिवार में कितने सदस्य तथा कहां-कहां पढ़ते हैं, परिवार की कितनी इनकम है, सहित पूरी जानकारी को विभाग की वेबसाइट पर डाला जाएगा। इससे बच्चे का फर्जी दाखिला भी नहीं दिखाया जा सकता, क्योंकि जैसे ही नेट पर उसकी डिटेल दोबारा से डाली जाएगी, कंप्यूटर पहले से ही डिटेल फीड होने का हवाला देकर इसे रिजेक्ट कर देगा। बच्चे का यूनिक कोड आधार अकाउंट से जुड़ा होगा। हालांकि स्कूलों का रिकॉर्ड तो ऑनलाइन कुछ माह पहले से किया जा रहा है, मगर वो रिकॉर्ड स्कूल लेवल का है, अब एमआईएस के तहत प्रत्येक बच्चे का अपना रिकॉर्ड होगा।
स्कूलों को दिए गए हैं निर्देश : बीईईओ
"एमआईएस सिस्टम के तहत पहली से 12वीं कक्षा तक के सभी बच्चों का रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा। यूनिक कोड दिए जाने के बाद फर्जी दाखिले संबंधी या बार-बार रिकॉर्ड ऑनलाइन संबंधी परेशानी भी खत्म हो जाएगी। इसके तहत नए दाखिलों के साथ ही काम शुरू कर जुलाई तक काम पूरा करना है।"- -डॉ. खुशीराम यादव, बीईईओ, शिक्षा विभाग। db
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