सोनीपत : शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी से लेकर मंत्री स्तर पर भी आदेश भले ही कुछ भी दिया जाए, लेकिन स्थानीय स्तर पर अधिकारियों को करना वही है जो उन्हें उचित लगता है। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य नहीं दिया जाए और बीएलओ के रूप में उनकी ड्यूटी नहीं लगेगी। ऐसा एक नहीं अनेकों बार कहा गया है, लेकिन एक बार फिर शिक्षकों की बीएलओ के रूप में ड्यूटी लगा दी गई है। शिक्षा के अधिकार कानून में भी स्पष्ट है कि शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता। शिक्षकों में इसके प्रति रोष है तथा शिक्षकों ने अपनी नाराजगी सीएम विंडो पर शिकायत देकर जता दी है।
विभागीय जानकारी के अनुसार बीएलओ के बारे में ड्यूटी लगाने का मसला शिक्षक स्थानीय शिक्षा अधिकारियों के समक्ष भी उठा चुके हैं, लेकिन ठोस कार्रवाई के रूप में जवाब स्थानीय अधिकारियों के पास अभी तक नहीं मिला है।
यह पहुंचे है आदेश :
जिले के विभिन्न स्कूलों के प्रिंसिपल के पास पत्र पहुंचे हैं। इसमें कहा गया है कि जिन शिक्षकों को इन ड्यूटी में लगाया गया है। उन्हें लगने वाले शिक्षकों को जल्द स्कूलों से कार्यमुक्त करवाया जाएगा। जिससे मतदाताओं के वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने का कार्य किया जा सके। जारी आदेश में चेतावनी भी दी गई है कि जो बीएलओ ड्यूटी कार्य नहीं संभालेंगे, उनके खिलाफ चुनाव कार्य में बाधा पहुंचाने के लिए रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी।
शिक्षा महानिदेशक दे चुके हैं आदेश
एक शैक्षणिक वर्ष में 200 दिन प्राइमरी तथा 220 दिन अपर प्राइमरी की कक्षाओं को पढ़ाना अनिवार्य है। ऐसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग के महानिदेशक मौलिक शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश के सभी शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिए जा चुके हैं। शिक्षकों को बीएलओ की ड्यूटी से मुक्त किया जाए तथा उनके स्थान पर साक्षरता विभाग के प्रेरकों की ड्यूटी लगाई जाए।
ड्यूटी निभाने पर कोई एतराज नहीं है
"शिक्षकों को ड्यूटी निभाने पर कोई एतराज नहीं है, परेशानी इस बात की है कि इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। जिसकी जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की बीएलओ ड्यूटी कार्य न्याय संगत नहीं है। क्योंकि शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराया जा सकता।''-- दिनेशछिक्कारा, प्रवक्ता हरियाणा विद्यालय, अध्यापक संघ db
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