चंडीगढ़ : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा राज में
भर्ती किए गए ड्राइंग टीचरों को हटाने पर अंतरिम रोक जारी रखते हुए
हाईकोर्ट ने सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई की तिथि तक टाल दिया।
हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश बिंदल ने फरवरी माह में 816 आर्ट्स और क्राफ्ट
शिक्षकों की नियुक्तियां रद करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री और हरियाणा
स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के तत्कालीन चेयरमैन की भूमिका पर भी सवाल उठाया था।
बैंच ने कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कम अकादमिक स्तर के आवेदकों को
नियुक्त करने के लिए ही इन पदों के लिए तय योग्यता के पैमाने में तब्दीली
की थी। इस नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान कमीशन द्वारा बार-बार योग्यता का
पैमाना बदलने और नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव करने पर जस्टिस बिंदल ने कहा
था कि कमीशन के चेयरमैन खुद में ही एक पूरे कमीशन के तौर पर काम कर रहे
थे। पैमाना बदलने के लिए कमीशन के अन्य सात सदस्यों की स्वीकृति तक नहीं ली
गई थी। इनकी कार्यप्रणाली देखकर यह लगता था कि यह कमीशन एक प्राइवेट
लिमिटेड कंपनी की तरह काम कर रहा था। इसके खिलाफ शिक्षकों ने डबल बैंच में
चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान डबल बैंच को बताया गया कि इस विषय पर
सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पीटिशन विचाराधीन है और सुप्रीम कोर्ट इस पर 9
दिसंबर को सुनवाई करेगा। इस पर हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने इन टीचर को
हटाने पर रोक के अंतरिम आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई की
तिथि के बाद सुनवाई करने का निर्णय लेते हुए मामले की सुनवाई 18 जनवरी तक
स्थगित
कर दी।
भर्ती के दौरान हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन के चेयरमेन नंद लाल
पूनिया ने अपने पर की गई टिप्पणी को पूनिया डिवीजन बैंच में चुनौती देते
हुए उसे हटाने की मांग की। पूनिया ने अर्जी में कहा कि वो इस भर्ती को
चुनौती देने वाली याचिका में प्रतिवादी नहीं थे, लेकिन एकल जज ने नकारात्मक
टिप्पणी की। डबल बैंच ने पूनिया की अर्जी व भर्ती रद करने के फैसले के
खिलाफ अपील पर सुनवाई एक साथ करने का भी निर्णय दिया है। dj
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