अर्जी के अनुसार मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक नई भर्ती नही की जानी चाहिए। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने नई भर्ती पर रोक लगाने से इंकार कर दिया, लेकिन हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया। ये टीचर साल 2006 में नियुक्त किए गए थे। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने इन शिक्षकों को हटा कर नई भर्ती करने का आदेश दिया था।
इसलिए हुई थी भर्ती रद्द
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 20 जुलाई 2006 को 816 ड्राइंग टीचरों की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे थे। इसके खिलाफ दायर याचिका में बताया गया कि इस दौरान नियम रखा गया था कि एक टेस्ट आयोजित किया जाएगा और इसके अलावा 25 अंकों का इंटरव्यू आयोजित किया जाएगा। बाद में कई बार नियमों को बदला गया।
कुछ उम्मीदवारों के फार्म तो अंतिम तिथि के बाद भी स्वीकार किए गए।
हाई कोर्ट ने पूरी नियुक्ति प्रक्रिया का रिकॉर्ड देखा तो इसमें अनियमिता सामने आई। इसमें पता चला कि कमीशन के चेयरमैन ने अन्य किसी भी सदस्य से परामर्श किए बिना ही नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान ही इसका पैमाने बदल दिया।
तत्कालीन मुख्यमंत्री की सहमति से ही लिखित परीक्षा की बजाय सभी योग्य आवेदकों को इंटरव्यू में बुलाए जाने का फैसला किया गया था।
इसके खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया था की सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में सुनाए गए कई फैसलों में यह साफ़ किया गया है की नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान इसका पैमाना नहीं बदला जा सकता है।
पीठ ने माना था कि आयोग ने एक सदस्यीय आयोग के तौर पर काम किया। इसके साथ ही पीठ ने हरियाणा सरकार को पांच महीनों में नए सिरे से इन पदों पर नियुक्तियां किये जाने के आदेश दे दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश के तहत ही सरकार ने पिछले दिनों इन पदों पर भर्ती प्रकिया शुरू की थी
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