** देश में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के विभिन्न तरह के दावे करने वाले कोचिंग संस्थानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है
नई दिल्ली : देश में शिक्षा पद्धति के विरोधाभास एवं दुविधा की स्थिति के बीच बेहतर कल की आस में कोचिंग संस्थाओं के जंजाल में फंसे छात्रों द्वारा आत्महत्या का सिलसिला जारी रहने की पृष्ठभूमि में भाजपा के एक सदस्य ने लोकसभा में निजी विधेयक पेश किया जिसमें कोचिंग संस्थाओं एवं उससे जुड़े विषयों का नियमन करने के लिए एक बोर्ड गठित करने का प्रस्ताव है। निचले सदन में भाजपा के देवजी एम पटेल ने गैर सरकारी विधेयक-निजी कोचिंग केंद्र नियामक बोर्ड विधेयक 2016 पेश किया। विधेयक के उद्देश्यों एवं प्रस्तावों में कहा गया है कि देश में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के विभिन्न तरह के दावे करने वाले कोचिंग संस्थानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ये प्रवेश परीक्षाओं में शानदार सफलता दिलाने की गारंटी का झूठा दावा करते हैं।
इन परीक्षाओं में उपस्थित होने वाले उम्मीदवारों की संख्या 14 लाख होती है जो 10 हजार सीट में दाखिले के लिए प्रयास करते हैं। ऐसी स्थिति में सफलता दिलाने की गारंटी के साथ कोचिंग संस्थान भारी रकम वसूलते हैं। इसमें कहा गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए गलाकाट प्रतिस्पर्धा का माहौल है। करो या मरो की स्थिति में छात्रों का मानसिक मार्गदर्शन करने के लिए कोचिंग संस्थाओं में व्यवस्था नहीं देखी जाती।
विधेयक में आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि साल 2014 में 45 छात्रों ने आत्महत्या की। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ो के मुताबिक साल 2013 की तुलना में 2014 में छात्रों की आत्महत्या की दर में 63.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई । ब्यूरो के अनुसार, आत्महत्या करने वालों में 40.17 प्रतिशत 30 वर्ष से कम आयु के हैं और इनमें से 17.2 प्रतिशत लड़कियां हैं। ऐसी स्थिति में देश के निजी कोचिंग संस्थाओं की कार्यप्रणाली का नियमन करने की जरूरत बताई गई है। hb
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