चंडीगढ़ : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक पढ़ रहे लाखों बच्चों का भविष्य अधर में है। समय पर मुफ्त किताबें न मिलने से बच्चे मासिक, यूनिट व सेमेस्टर परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं। 11 जिलों में बिल्कुल भी किताबें मुहैया न कराए जाने से मासिक व यूनिट टेस्ट पर ब्रेक लग गया है। सत्र के 110 दिन पूरे होने पर ली जाने वाली सेमेस्टर परीक्षा पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। 1शिक्षकों को गाइड व पुरानी किताबों से पढ़ाई करानी पड़ रही है। शिक्षा का अधिकार कानून में पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं का प्रावधान नहीं है। इसमें मासिक, यूनिट व सेमेस्टर टेस्ट के आधार पर सतत व्यापक मूल्यांकन कर रिजल्ट तैयार किया जाता है। इसलिए सवाल यह खड़ा हो गया है कि जिन स्कूलों में बच्चों के मासिक व यूनिट टेस्ट नहीं हो रहे हैं, वहां रिजल्ट किस आधार पर तैयार किया जाएगा। जिन स्कूलों में आधी किताबें छात्रों को मिली हैं, वहां भी टेस्ट के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। चूंकि सरकारी स्कूलों में लगभग पौने दो करोड़ किताबें मुफ्त में आठवीं क्लास तक के बच्चों को बांटी जानी थी, लेकिन अभी तक लगभग 30 लाख किताबें ही मुहैया कराई जा सकी हैं। ऊपर से किताब प्रकाशकों ने पुस्तकें मुहैया कराने से ऐन मौके पर हाथ खड़े कर दिए, इस कारण दोनों किताब प्रकाशक कंपनियों की सिक्योरिटी राशि जब्त कर नए सिरे से अल्प अवधि टेंडर कराए जा रहे हैं। 19 अगस्त को कंपनियों का चयन होना है।
हरियाणा अध्यापक संघ के अध्यक्ष वजीर सिंह का कहना है कि बच्चों को समय पर किताबें न मिलने से शिक्षा के प्रति सरकार की लापरवाही उजागर हुई है। मासिक व यूनिट टेस्ट न होने से रिजल्ट तैयार करने में दिक्कत आएगी। ..DJ
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