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Sunday, 11 August 2013

नौ हजार शिक्षकों की नौकरी पर खतरा

हिसार : रेशनेलाइजेशन के कारण प्रदेश के साढ़े अठारह हजार शिक्षकों के सरपल्स होने का संकट खड़ा हो गया है। इनमें से नौ हजार शिक्षकों के भविष्य पर तो तलवार लटक गई है। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि सरप्लस होने से कहीं उन्हें घर तो नहीं बैठना पड़ेगा। दरअसल, शिक्षा विभाग ने रेशनेलाइजेशन के तहत लेक्चर्स को छठी से आठवीं कक्षा का भी वर्कलोड देने का निर्णय लिया है। अगर ऐसा होता है तो शिक्षकों के सरपल्स होने के साथ उनकी नौकरी भी खतरे में है। बता दें कि 22 हजार शिक्षकों में से करीब 13 हजार शिक्षकों की भर्ती 32 साल बाद यानी 2012 में कंफर्म हो गई थी। इनमें से साढ़े तीन हजार शिक्षक प्रमोट होकर मौलिक स्कूल हेडमास्टर बन गए। करीब सौ रिटायर हो गए। ऐसे में कंफर्म साढ़े नौ हजार हजार शिक्षक सरपल्स होते हैं, तो विभाग को इन्हें स्कूलों में वर्कलोड देना पड़ेगा या फिर घर बैठे मासिक वेतन। बाकि के करीब नौ हजार शिक्षकों को ऐसी सुविधा का फायदा नहीं मिल सकेगा। ये शिक्षक तो दोहरी मार ङोल रहे हैं। एक तो नियुक्ति के बाद वर्ष 2003 में रेगुलर हुए और अब सरप्लस होने के साथ नौकरी खतरे में पड़ गई है। कक्षा छठी से आठवीं को पढ़ाने के लिए मौलिक शिक्षा विभाग के अधीन शिक्षक व सीएंडवी टीचर नियुक्त हैं। ऐसे में लेक्चर्स को कक्षाओं का वर्कलोड देने से शिक्षकों का सरपल्स होना लाजिमी है। 
क्या कहती हैं एसोसिएशन 
मास्टर वर्ग एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष रमेश मलिक व कोषाध्यक्ष आर्य संजय का कहना है कि एसोसिएशन शुरू से रेशनेलाइजेशन का विरोध करती आ रही है। रेशनेलाइजेशन शिक्षा का अधिकार नियम के विरुद्ध है। ऐसे में अब लेक्चर्स को छठी से आठवीं कक्षा का भी वर्क लोड दे दिया गया तो शिक्षकों के साथ अन्याय होगा। इसे एसोसिएशन कभी बर्दाशत नहीं करेगी। एसोसिएशन शिक्षा मंत्री के आवास पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ जाएगी।
छठी से आठवीं कक्षा को ना
लेक्चर्स एसोसिएशन के जिला सह सचिव सुरेश कुमार का कहना है कि जब नौवीं व दसवीं को पढ़ाने से मना कर दिया है तो छठी से आठवीं को पढ़ाना तो दूर की बात। अगर उन्हें इन कक्षाओं को वर्कलोड दिया गया तो वे इसका पुरजोर विरोध करेंगे। इसके लिए धरना-प्रदर्शन करने से पीछे नहीं हटेंगे। ..dj  

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