रोहतक : इनेलो के शासनकाल में वर्ष 2000 में नियुक्त 3206 जेबीटी टीचरों पर गाज गिरने के बाद मौजूदा कांग्रेस सरकार में वर्ष 2010 में नियुक्त हुए करीब 8600 जेबीटी टीचरों की भर्तियां भी विवाद के घेरे में हैं। इनेलो के टीचरों के बाद कांग्रेस राज में नियुक्त हुए इन टीचरों को भी नौकरी छीनने का डर सताने लगा है।
2009 आवेदन मांगे थे
फिलहाल पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर इनकी जांच सरकार द्वारा कराई जा रही है, लेकिन इसकी गति बेहद ही धीमी है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने जेबीटी टीचरों की नियुक्ति के लिए सितंबर 2009 में रिक्त 9600 पदों के लिए आवेदन मांगे थे। आवेदन की स्क्रीनिंग के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। इसके बाद सरकार ने एचटेट के माध्यम से वर्ष 2010 में 8600 टीचर नियुक्त किए। सभी जूनियर बेसिक ट्रेंड और एचटेट पास थे। बाद में इन भर्तियों पर कथित रूप से किए गए फर्जीवाड़े के आरोप लगे।
कुछ अभ्यार्थियों ने आरोप जड़े कि एचटेट पास अभ्यार्थी अलग हैं। वहीं जो नियुक्त हुए हैं, वे अलग हैं। लिहाजा दोनों के फिंगर प्रिंट का मिलान किया जाए। मामला कोर्ट में पहुंचा। जांच शुरू हुई तो हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी से एचटेट का रिकार्ड तलब कर लिया गया।
फिलहाल जांच जारी है। प्रारंभिक जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद भर्ती की पूरी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है, लेकिन अभी तक फोटो मिलान की जांच पूरी नहीं हुई है। जांच धीमी चल रही है।
टीचर्स को हटाए सरकार
पीड़ित अभ्यार्थियों के परिजन राजेश दलाल, अमन फौगाट का कहना है कि इन टीचरों की भर्तियों में भी फर्जीवाड़े की पुष्टि एक प्रकार से हो चुकी है।
इसकी जांच तेज करके इन टीचरों को भी हटाया जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
कोर्ट के निर्देश पर जांच
हाईकोर्ट में मामला पहुंचने के बाद कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं। आदेशों में कहा गया कि एचटेट पास अभ्यार्थियों और सरकारी नौकरी में नियुक्त हुए अभ्यार्थियों के अंगूठे अलग अलग हैं तो सच्च सामने आना चाहिए। बताया जा रहा है कि फिंगर प्रिंट जांच में करीब तीन हजार अभ्यार्थियों का मिलान नहीं हुआ है। 2010 में हुई नियुक्तियों में कई अभ्यार्थी असफल रहे। इनमें से असफल अभ्यार्थी प्रवीण व सविता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने करीब 54 ऐसे शिक्षकों की सूची दी जिसमें कोर्ट के समक्ष बताया गया कि ये वे नाम हैं जो गलत हैं। इस भर्ती की जांच होनी चाहिए। इसमें भारी पैमाने पर गोलमाल हुआ है।
बदले जा चुके हैं डबास
फिंगर प्रिंट की जांच का जिम्मा क्राइम रिकार्ड ब्यूरो मधुबन को दिया गया है। ब्यूरो के डायरेक्टर लायकराम डबास ने फिंगर प्रिंट का काम जोरों से करवाया। उनके तबादले से पूर्व करीब 5600 जेबीटी टीचर की जांच भी हुई। लेकिन मीडिया में खुलासा होने के बाद वर्ष 2013 में डबास का तबादला हो गया। चर्चाएं हैं कि इनमें करीब तीन हजार अभ्यार्थियों के फिंगर प्रिंट नहीं मिल रहे। hb170114
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