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Thursday, 23 January 2014

डीम्ड विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए उम्मीद की किरण

** सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों को अपनी ओर से राहत देने से किया इन्कार
** काली सूची में डाले जाने वाले की ऐसे संस्थानों की रिपोर्ट पर यूजीसी को दिया दो माह में जांच का निर्देश
देश भर के जिन 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है उनके छात्रों को सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद की किरण दिखा दी है। केंद्र सरकार ने इन विश्वविद्यालयों को काली सूची में डालने की संस्तुति की गई है। कोर्ट ने सरकार को इस पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से सलाह लेने के बाद नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया है। 
शीर्ष अदालत ने यूजीसी को कहा है कि वह तय मानदंड पूरा करने में नाकाम रहने के बारे में ऐसे विश्वविद्यालयों की सभी रपटों की दो माह में जांच करे और केंद्र को सलाह दे। इसके बाद केंद्र सरकार इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेगी। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और विक्रमजीत सेन की पीठ ने एक फैसले में कहा, ‘हम सभी 44 संबंधित संस्थानों को नोटिस जारी करते हुए यूजीसी को सभी रपटों की जांच करने का निर्देश देना उचित समझते हैं। उन रपटों के खिलाफ ये संस्थान अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए स्वतंत्र हैं और जरूरी हो तो यूजीसी को उन पर सुनवाई के बाद उन पर विचार कर आज से दो माह के अंदर कानून के मुताबिक स्वतंत्र रूप से निर्णय लेना है और उसे अपनी रिपोर्ट के साथ केंद्र सरकार को सलाह देनी है। यह कहने की जरूरत नहीं है कि भारत सरकार यूजीसी की इस सलाह को मानने के लिए बाध्य नहीं है लेकिन वह इसे उचित महत्व देगी क्योंकि यूजीसी एक विशेषज्ञ वैधानिक प्राधिकरण है।’ पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने इन विश्वविद्यालयों से जुड़ी किसी भी रपट पर अपनी स्वीकृति की मुहर नहीं लगाई है और इन पर यूजीसी को ही विचार करना है। मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों की मान्यता खत्म (गैरअधिसूचित) करने को कहा था। मंत्रलय ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया था कि छात्रों का भविष्य इससे प्रभावित नहीं हो यह सुनिश्चित करने के लिए उचित व्यवस्था करेगा।                                         djdili

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