हिसार : शिक्षा विभाग ने स्कूल सेवा नियमों में फेरबदल किया है। इसके तहत अब नवनियुक्त अध्यापकों को पांच साल तक ग्रामीण स्कूलों में सेवाएं देनी होगी। इतना ही नहीं अगर अध्यापक ने विभागीय नियमों की अनुपालना करते हैं, तो उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। दरअसल, विभाग ने यह फैसला ग्रामीण स्कूलों में अध्यापकों की घटती संख्या को देखते हुए लिया है। बता दें कि अध्यापक सुख-सुविधा के लिए उच्चाधिकारियों से सांठ-गांठ कर अपनी नियुक्ति शहर या शहर के नजदीक स्कूलों में करवा लेते थे लेकिन अब इसपर भी अंकुश लगेगा। हाल ही में प्रदेशभर में हजारों प्राध्यापकों की नियुक्तियां की गई हैं। जिनके नियुक्ति पत्र में ये निर्देश दिए हैं।
इन विषयों के शिक्षक नही
प्रदेशभर में विज्ञान विषय के तीन हजार अध्यापकों की कमी है। इसके अलावा गणित विषय के करीब दो हजार अध्यापक नहीं है। राजनीतिक शास्त्र, मनोविज्ञान, पंजाबी, संस्कृत, भूगोल शास्त्र, शारीरिक शिक्षा विषय के अध्यापकों की भी काफी कमी है। ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं जिन स्कूलों में गुरुजी नहीं, वहां शिक्षा की बदहाली का क्या आलम होगा।
बिल्कुल सही फैसला
कार्यकारी जिला शिक्षा अधिकारी मधु बाला मित्तल ने बताया कि नवनियुक्त अध्यापकों को पांच साल तक ग्रामीण स्कूलों में सेवाएं देने का फैसला बिल्कुल सही है। इसके अलावा गांव से शहर के स्कूलों में प्रति नियुक्तियां भी कम से कम हो, इसका प्रयास किया जाएगा।
नहीं किया समायोजन
दरअसल, जिन स्कूलों में अध्यापक ज्यादा है, उन्हें दूसरों स्कूलों प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया जाता है लेकिन शिक्षा विभाग ने ऐसा नहीं किया। इस कारण ग्रामीण स्कूलों में अध्यापकों की संख्या घटती गई। शहर के स्कूलों में अध्यापकों की संख्या ग्रामीण स्कूलों के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में जब तक शहर से ग्रामीण स्कूलों में अध्यापकों को समायोजन नहीं होता, तब स्कूलों में शिक्षा का उत्थान कर पाना मुश्किल है। dj
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