यमुनानगर : जिले के अधिकांश स्कूलों में बच्चों को मिलने वाला दोपहर का भोजन अर्थात मिड डे मील जल्द बंद हो सकता है। अधिकतर स्कूलों में मिड डे मील राशि के तीन से पांच माह के बिल अब तक पास नहीं हुए है। जिससे जिले में योजना बंद होने के कगार पर है। अध्यापकों को अपनी जेब से मिड-डे मील का खर्च वहन करना पड़ रहा है।
सरकारी स्कूलों में बच्चों को दोपहर का पौष्टिक भोजन देने के लिए वर्ष 2007-08 में मिड डे मील योजना शुरू की गई। योजना अच्छी है। शुरुआत में योजना अच्छे तरीके से शुरू की। शुरुआत में योजना की राशि स्कूल के खातों में आती थी। लेकिन कुछ माह पूर्व सरकार द्वारा अध्यापकों से मिड डे मील पर खर्च होने वाली सामग्री का बजट पहले दिये जाने के निर्देश दिये। जिसकी राशि लेने के लिए अध्यापकों को बिल पास करवाने पड़ते है। लेकिन जिले के अधिकतर स्कूलों में तीन से पांच माह तक की राशि के बिल पास नहीं हुए है। जिले के जगाधरी खंड के अलावा अन्य सभी खंडों के खजाना अधिकारियों ने मिड डे मील के बिल पास नहीं किये है। जिले के प्राथमिक, मिडल, उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के अध्यापकों को अपनी जेब से मिड डे मील का खर्च करना पड़ रहा है। यदि जल्द ही मिड डे मील के बिल पास नहीं किये गए तो जिले के स्कूलों में मिलने वाला मिड डे मील बंद हो सकता है। खंड खजाना अधिकारियों द्वारा मिड डे मील के बिल पास नहीं किये जाने पर सोमवार को अध्यापकों को प्रतिनिधिमंडल हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के जिला प्रधान प्रदीप सरीन के नेतृत्व में जिला डिप्टी मौलिक शिक्षा अधिकारी से मिला। प्रतिनिधि मंडल में उपप्रधान रूपचंद, विपिन मिश्र, सोहन लाल आदि शामिल थे।
प्रदर्शन करने की दी चेतावनी
प्रधान प्रदीप सरीन ने कहा कि खजाना अधिकारी मिड डे मील की राशि के बिल पास नहीं कर उन्हें अनावश्यक तौर पर परेशान कर रहे हैं। जिससे स्कूलों में बच्चों को मिलने वाला भोजन बंद होने के कगार पर है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो अध्यापक उनके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। dj
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