शिक्षालय है तो शिक्षक नहीं .. शिक्षक हैं तो किताब नहीं.. टाट है, बेंच नहीं .. और न जाने कितनी विसंगतियों का भंवर है जिसमें प्रदेश का भविष्य उलझा हुआ है। रही-सही कसर नीति-नियंताओं की उदासीनता व ज्ञान का प्रकाश फैलाने वालों की हठधर्मिता से उठ रही आंदोलन की लहर पूरी कर रही है। पूरा प्रदेश तंत्र और उसकी व्यवस्था से शिक्षा को गर्त में जाता हुआ देख रहा है।
10वीं-12वीं बोर्ड कक्षाओं का द्वितीय सेमेस्टर शुरू हुआ तो लेक्चररों ने मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया। आंदोलन पर उतारू लेक्चररों ने कक्षाओं से भी मुंह मोड़ लिया। नतीजन पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाया। अब परीक्षा में महज एक माह का समय बचा है। अभी तक 80 फीसद पाठ्यक्रम ही पूरा हो पाया है। बाकी 20 फीसद पाठ्यक्रम पूरा होगा या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है। कारण, गेस्ट टीचर और जेबीटी अध्यापक आंदोलनरत हैं।
बुधवार को ही हिसार मंडल के चार हजार गेस्ट टीचर सामूहिक अवकाश पर थे। मास्टर व लेक्चरर कब मांगों को लेकर आंदोलन पर चले जाएं, इसका भी किसी को नहीं पता। वहीं, स्कूलों में शिक्षकों की कमी से हर कोई वाकिफ है। ऐसे में समय पर पाठ्यक्रम पूरा न होने व बोर्ड परीक्षा नजदीक होने से विद्यार्थी तनाव में हैं।
साल भर में 220 दिन स्कूल लगते हैं। प्रत्येक शिक्षक को दस से बीस कैजुअल लीव मिलती है जिसका फायदा हर कोई उठाता है। इसके अलावा महिला शिक्षक छह माह प्रसूति अवकाश, दो साल चाइल्ड केयर लीव, परीक्षा ड्यूटी व अनिश्चितकालीन आंदोलन में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में उक्त कारणों के चलते स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति कोढ़ में खाज पैदा कर रही है। djhsr
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.