बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज में जिन 30 सहायक प्रोफेसर को नियुक्ति दी गई है, उनमें दो ऐसे अभ्यर्थी शामिल है जिन्हें लिखित परीक्षा एवं इंटरव्यू में मिलाकर जीरो से कम यानी माइनस में माक्र्स मिले थे। वहीं, दो ऐसे अभ्यर्थियों को परीक्षा व इंटरव्यू में शामिल कर लिया गया, जिनको स्क्रूटनी कमेटी ने ही अयोग्य ठहरा दिया था। एसीबी की पड़ताल में ऐसे ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं, जिसमें नियुक्ति के बदले पैसों के लेन-देन की शिकायतें भी शामिल है। एसीबी अब यह पड़ताल कर रही है कि कहीं यह गड़बडिय़ां सिफारिशों या अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने अथवा पैसों का लेन-देन लेकर तो नहीं की गई है। एसीबी अधिकारियों का कहना है कि निश्चित तौर पर इस मामले में विस्तार से जांच होगी तो और तथ्य सामने आएंगी। उधर, अभ्यर्थियों का कहना है कि इस प्रकरण में भर्ती निरस्त कर फिर से करवाए सरकार।
ओएमआर सीटों में हेराफेरी :
अनुसंधान अधिकारी एवं एसीबी चौकी बीकानेर के प्रभारी नरोत्तम लाल वर्मा के अनुसार ओएमआर सीट में कांट छांट की गई। सही को गलत और गलत को सही किया गया। इसकी विस्तार से जांच होगी।
अभ्यर्थी अभिषेक ने 36 प्रश्न सही किए। डेढ़ अंक के हिसाब से 54 अंक हुए। बारह प्रश्न गलत की वजह से 18 अंक की नेगेटिव मार्किंग। यानी अंक बचे 36, लेकिन आंसर सीट में हेराफेरी कर छह गलत उत्तर सही कर दिए। यानी 63 अंक हो गए। गलत दिखाए केवल छह। नेगेटिव मार्किंग हुई केवल नौ अंकों की।
इस हिसाब से भी 54 अंक होते हैं, लेकिन सीट में अंक 57 कर दिए गए। दोहरा फायदा पहुंचाया।
माइनस 7-8 नंबर वाले प्रोफेसर
लिखित परीक्षा में 50 प्रश्न पूछे गए। प्रत्येक प्रश्न का डेढ़ अंक निर्धारित था यानी 75 का अंक की लिखित परीक्षा और 25 अंक का इंटरव्यू। प्रत्येक गलत उत्तर देने पर नेगेटिव मार्किंग का भी डेढ़ अंक ही निर्धारित किया गया था। लिखित परीक्षा एवं इंटरव्यू में शामिल सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी संजीत कुमार को 100 अंकों में से माइनस सात प्रतिशत (-7 प्रतिशत) और अमित कुमार सुधांशु को माइनस आठ प्रतिशत (-8 प्रतिशत) अंक ही मिले। बावजूद दोनों अभ्यर्थियों को सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति दे दी गई। दोनों ने 4 फरवरी, 2013 को सेरामिक इंजीनियरिंग विभाग में ज्वाइनिंग भी दे दी। dbjaipur
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