प्रदेश के सरकारी स्कूलों के नियमित शिक्षक जहां लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं अतिथि अध्यापक अपना रोजगार बचाने के लिए सड़कों पर। ऐसे में स्कूलों में बच्चों का सिलेबस पूरा कराना दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। शिक्षकों की कमी से जूझ रहे शिक्षा विभाग की मुश्किलें हाई कोर्ट के आदेश ने बढ़ा दी हैं जिसमें जेबीटी शिक्षकों की सेवाएं खत्म करने को कहा गया है।
सरकारी स्कूलों में दूसरे सेमेस्टर का सिलेबस अभी पूरा नहीं हो पाया है। कई स्कूलों में स्टाफ की भी भारी कमी है। बचे हुए नियमित शिक्षक लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटे हैं। ऐसे में ऐसे में थोड़ा बहुत सहारा अतिथि अध्यापकों का था लेकिन अब उनकी भी नौकरी दांव पर है। ऐसे में न तो उनका ध्यान बच्चों के सिलेबस की और है और न ही अन्य कार्यो की ओर। सभी अतिथि अध्यापक अपने रोजगार को बचाने के लिए प्रतिदिन रोष प्रदर्शन में जुटे हैं। 13 और 14 को शिक्षकों ने सामूहिक अवकाश का ऐलान कर दिया है। जिले भर में लगे लगभग 600 अतिथि अध्यापक स्कूलों में शिक्षण कार्य नहीं कर पाएंगे। djkkr
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