दलाल ने बताया कि संगठन ने अपनी मांगों को लेकर नवंबर माह में आंदोलन प्रारंभ किया था, जिसके अंर्तगत बोर्ड के प्रथम सेमेस्टर की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया गया था, किंतु विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए संगठन ने उक्त आंदोलन प्रदेश सरकार की 28 नवंबर को हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद वापस ले लिया था कि संगठन की लंबित मांगों को एक कमेटी अतिशीघ्र अध्ययन करके दूर करेगी।
उन्होंने बताया कि करीब तीन माह बीत जाने के बावजूद अभी तक उक्त कमेटी ने संगठन की वेतन तथा अन्य संबंधित मांगों के बारे में कोई लिखित या मौखिक जवाब नहीं दिया है। शिक्षा विभाग की हठधर्मिता एवं अदूरदर्शिता का उदाहरण है। दलाल ने चेतावनी दी कि यदि एक पखवाड़े में प्रदेश सरकार ने संगठन की उक्त लंबित मांगों को पूरा नही किया तो संगठन नए सिरे से आरपार की लड़ाई लड़ेगा। उन्होंने अतिथि अध्यापकों के आंदोलन को जायज ठहराते हुए हसला की तरफ से पुरजोर समर्थन देने की बात कही। उनका मानना है कि लंबे अरसे से उत्कृष्ट सेवाएं दे रहे अतिथि अध्यापकों को उनके शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर कोई योजना बनाकर उन्हें स्थाई समाधान दिया जाये। dt
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