प्रिंसिपल से संस्कृत टीचर डिमोशन के बाद खाली हुई सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल की कुर्सी को लेकर घमासान मचा हुआ है। छह दिन पहले प्रिंसिपल पद से रिलीव होकर वापस संस्कृत टीचर बने इन अध्यापकों ने मंगलवार को संबंधित स्कूलों में जाकर जबरन ज्वाइन कर लिया। इतना ही नहीं कई जगह तो यह हालात बने की इन अध्यापकों ने स्कूल में जाकर ऑर्डर बुक में ज्वाइनिंग बारे लिखा व ऑर्डर बुक अपने कब्जे में ले ली। इसके बाद स्कूल का इंचार्ज संभालने रहे अध्यापकों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शिकायतत की। मामला काफी बढ़ गया है। एफआईआर दर्ज तक कराने की बात चल रही है। वहीं दूसरी ओर संस्कृत अध्यापकों ने कहा कि उन्हें कोर्ट ने स्टे दे रखा है, इसलिए वह प्रिंसिपल की कुर्सी पर ही बैठेंगे। इस तरह से कोर्ट के फैसले के बीच मामला अब आपसी रंजिश का बनता जा रहा है। हालांकि जिला शिक्षा विभाग मामले को काफी हलके से ले रहा है।
इस प्रक्रिया के तहत राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल फतेहाबाद से प्राचार्य लक्ष्मीकांत के रिलीव होने के बाद शिक्षा विभाग ने स्कूल की सीनियर टीचर सुनीता सिंगला को इंचार्ज की जिम्मेदारी सौंप दी थी। मंगलवार को वह प्रिंसिपल कार्यालय में ऑर्डर बुक लेकर काम कर रही थी। तभी लक्ष्मीकांत शर्मा वहां पहुंचे और उन्होंने सुनीता के हाथ से ऑर्डर बुक छीन ली। चूंकि वह सीनियर थे, इसलिए उन्होंने कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं की। लक्ष्मी कांत ने बुक अपनी ज्वाइनिंग करने की बात लिख दी। तभी सुनीता ने बीईओ व अन्य सीनियर अधिकारियों को इस बारे अवगत कराने के लिए फोन किया तो इस दौरान लक्ष्मीकांत ऑर्डर बुक लेकर सड़क पर चले गए। छात्राओं ने सुनीता सिंगला को बताया कि वह भाग कर गए हैं। दूसरे स्टाफ पीछा कर उनसे ऑर्डर बुक वापस ली। इसके बाद सुनीता सिंगला ने तुरंत बीईओ सदानंद वत्स के पास जाकर अवगत कराया व लिखित में शिकाय भी। इतना ही नहीं बुधवार को भी वह स्कूल में बतौर प्रिंसिपल हाजिरी लगाने के लिए पहुंच गए, लेकिन स्टाफ ने ऐसा नहीं करने दिया। लिखित शिकायत के आधार पर बीईओ ने अधिकारियों को अवगत कराया है। इस तरह के वाक्या फतेहाबाद के अलावा उन सभी स्कूलों में हुए जहां संस्कृत टीचर प्रिंसिपल से डिमोट किए गए। रिलीव होने के बाद जबरन ज्वाइन करने की लिखित शिकायतें सभी बीईओ के जरिए मिली हैं।
ये है मामला
शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के करीब 35 सीएंडवी संस्कृत टीचरों को प्रमोट कर हैडमास्टर, बाद में प्रिंसिपल बनाया था। यह प्रमोशन वर्ष 2008 में हुई थी। बाद में उनकी प्रमोशन को लेकर विभाग ने गलत बताते हुए उन्हें वापस सीएंडवी बनाने को कहा गया था। बाद में मामला अदालत में चला गया। जिसके बाद एक बारगी स्टे मिल गया था। वहीं पिछले सप्ताह विभाग ने शुक्रवार को आदेश जारी उन्हें प्रिंसिपल पद से रिलीव करने के आदेश दिए थे।
शिकायत मिली है, गलत है: बीईओ
"मुझे इस घटनाक्रम को लेकर कई स्कूल इंचार्ज ने शिकायत की है। उक्त लोगों ने जो किया गलत है। यदि स्टे मिला है तो सिस्टम से आएं। निदेशक से मंजूरी मिलने के बाद ही ज्वाइन कर सकते हं। हालांकि स्टे ऑर्डर जो दिखाए गए हैं, वह हस्ताक्षर के बिना हैं। इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। जरूरत पड़ी तो कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। ऑर्डर बुक छीनना व सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ का मामला बनता ही है।"--सदानंद वत्स, बीईओ। dbftb
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