रोडवेज, बिजली निगम, जनस्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग, शिक्षा, स्वास्थ्य, आबकारी व कराधान, राजस्व विभाग व शिक्षा बोर्ड सहित अनेक विभागों के कर्मचारी मांगों को लेकर तीसरी बार हड़ताल पर जाने का निर्णय ले सकते हैं। यह हम नहीं कह रहे 17 फरवरी हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी के साथ हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के साथ होने वाली बातचीत को लेकर अटकलें लगाई जा रही है। अगर बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची तो विभिन्न विभागों के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं। कर्मचारियों को आशंका है कि सरकार ढुलमुल रवैया अपनाकर मांगों को लोकसभा चुनावों तक टालना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि कच्चे कर्मचारियों को पक्का, पंजाब के समान वेतनमान, निजीकरण पर रोक, ठेका प्रथा, केंद्र के समान भत्ते देना, हरियाणा में अलग से वेतनमान आयोग का गठन करना व सभी कर्मचारियों को मेडिकल केशलैस की सुविधा देना आदि मांगों को लेकर विभिन्न विभागों के कर्मचारी दो बार हड़ताल कर चुके हैं। पहली बार दो दिवसीय हड़ताल 2013 में 13 व 14 नंवबर को व दूसरी तीन दिवसीय हड़ताल 21 से 23 जनवरी 2014 को कर्मचारियों ने सफल हड़ताल की थी। हड़ताल के दौरान कई नेताओं पर पुलिस प्रशासन ने मुकदमें भी दर्ज किए थे व गिरफ्तार भी किए गए थे। लेकिन कर्मचारियों का इस पर कोई खास असर नहीं पड़ा था। इस बारे में अध्यापक संघ के प्रदेश महासचिव दिलबाग सिंह अहलावत ने साफ कह दिया है कि कर्मचारी जनता को किसी प्रकार की परेशानी में नही डालना चाहते, लेकिन सरकार कि हठ के कारण कर्मचारियों को मजबूरन हड़ताल जैसा रास्ता अपनाना पड़ता है।
हरियाणा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश प्रवक्ता जयबीर नाफरिया ने कहा कि अगर मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करके लागू नहीं किया गया तो 17 फरवरी को चंडीगढ़ से आंदोलन की घोषणा कर दी जाएगी। इसमें जेल भरो, आमरण अनशन या अनिश्चितकालीन हड़ताल का बिगुल बज सकता है।
इसी प्रकार हरियाणा रोडवेज वर्कर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष दलबीर नेहरा ने कहा कि अगर वार्ता विफल रही तो यूनियन तालमेल कमेटी जो भी फैसला लेगी उसमें सहयोग करेगी। यह सिर्फ अकेले रोडवेज की बात नहीं है सभी विभागों के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
हो सकती है परेशानी
अगर कर्मचारियों की तीसरी बार हड़ताल हुई तो जनता को खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दो बार हुई हड़ताल से आम जन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। बिजली, पानी व स्वास्थ्य व रोडवेज जैसी रोजमर्रा की जरुरतों से जनता को वंचित रहना पड़ा था। शहरों को छोड़कर गांवों में बिजली व्यवस्था नाकाम रही थी। dbbhwn
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