चंडीगढ़ : प्रदेश के शिक्षकों व शिक्षा विभाग के बीच ठन गई है। शिक्षक किसी सूरत में विभाग के झांसे में आने को तैयार नहीं हैं। वे वर्षो से लंबित मांगों पर आश्वासनों के बजाए ठोस कार्रवाई चाह रहे हैं। वे आमरण अनशन तक की रणनीति तैयार कर चुके हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए सेकेंडरी शिक्षा विभाग के महानिदेशक ने हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन को 12 मई को वार्ता के लिए बुलाया है। लेकिन, शिक्षक अपने निर्णय पर अडिग हैं। उन्होंने एसोसिएशन अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों को दो टूक कह दिया है कि अब आश्वासन से काम नहीं चलेगा। वार्ता का परिणाम निकलने पर ही पूर्व में तय आंदोलन को टाला जाएगा, अन्यथा शिक्षक 17 व 18 मई को शिक्षा मंत्री के झज्जर स्थित आवास पर 24 घंटे धरने देने के बाद रोष प्रदर्शन करेंगे। एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश मलिक का कहना है कि लंबे समय से विभाग के अधिकारी शिक्षकों के साथ वादाखिलाफी करते आ रहे हैं। रेशनेलाइजेशन में मनमानी की जा रही है। शिक्षकों को कक्षा का आकार 35 छात्रों से अधिक स्वीकार नहीं है, जबकि विभाग शिक्षा का अधिकार के विपरीत 51 छात्रों की कक्षा बना रहा है। विषयों के साप्ताहिक पीरियड घटाकर पांच किए जा रहे हैं, जबकि नियमानुसार ये 8 होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि रेशनेलाइजेशन से पहले पीजीटी, मौलिक स्कूल मुख्याध्यापकों, हाई स्कूल मुख्याध्यापकों के पदों पर पदोन्नति की जानी चाहिए थी। पीजीटी पदों पर टीजीटी की पदोन्नति 2008 से रुकी हुई हैं। इन्हें अध्यापन विषय की शर्त हटाकर जल्द किया जाए। मौलिक स्कूल मुख्याध्यापकों को द्वितीय श्रेणी का दर्जा जल्द मिलना चाहिए। dj
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