134ए के तहत रविवार को हुए लर्निग लेवल असेसमेंट टेस्ट नए विवाद में आ गया है। तीसरी से लेकर पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों से एक ही प्रश्न पूछे गए, जिससे परीक्षा का मखौल उड़ा।
शिक्षा नियमावली 134 ए के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिले के लिए तीसरी से 12वीं कक्षा के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई। 11वीं कक्षा के लिए परीक्षा नहीं कराने की वजह यह रही है कि दसवीं का परीक्षा परिणाम हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने घोषित नहीं किया है। तीसरी से लेकर पांचवीं कक्षा में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों से एक समान प्रश्न पूछे। प्रश्न पत्र के सील बंद लिफाफे हर कक्षा के हिसाब से अलग-अलग थे। लेकिन सील टूटने के बाद प्रश्न पत्र एक समान थे। सामान्य ज्ञान से जुड़े हुए सवाल बच्चों से पूछे गए। मसलन आसमान का रंग क्या है। चित्र देखकर बताएं कि यह काम लुहार करता है या मोची। सामाजिक संबंध व दैनिक दिनचर्या से जुड़े हुए सवाल पूछे गए।
शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक मोहनलाल सैनी ने कहा कि तीन कक्षाओं के एक सरीखे प्रश्न पत्र के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता है। उन्हें सिर्फ करनाल में परीक्षा कराने के निर्देश मिले हैं। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हर कक्षा के बाद बच्चे का मनोविज्ञान बदलता है, लेकिन यह निर्णय उच्चाधिकारियों का है। इस बाबत वह उचित बता सकते हैं।
मनोचिकित्सक डॉ. जेसी बठला का कहना है कि बच्चे का मानसिक विकास हर दिन होता है। तीसरी कक्षा के बच्चे की मनोस्थिति अलग होती है, जबकि पांचवीं कक्षा के बच्चे की अलग। ऐसे में तीसरी से पांचवीं कक्षा के बच्चों को एक लाइन में नहीं रखा जा सकता। djkrnl
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