** हैडमास्टर व मास्टर द्वारा ग्रेड कम लगाने की दी जाती है धमकी
** स्कूल में कम से कम पांच बच्चों का दाखिला कराने के लिए बनाया जा रहा दबाव
** डाइट में तीन दिन की स्पेशल ट्रेनिंग के दौरान छात्राओं ने लगाए आरोप
कैथल : सरकारी स्कूलों में जेबीटी के बाद एक वर्ष की इंटरशिप कर रही लड़कियों रोते हुए ने कहा कि सरकारी स्कूलों में मानसिक व शारीरिक शोषण हो रहा है। शिक्षा अधिकारियों के दबाव के कारण कुछ समय के लिए शोषण कम हुआ था। लेकिन फिर से कुछ सरकारी स्कूलों में हैडमास्टर व मास्टर शोषण करने लगे हैं। ये बात जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान में तीन दिन की स्पेशल ट्रेनिंग लेने पहुंची कैथल ब्लॉक की छात्राओं ने कही।
छात्राओं ने कहा कि सरकारी स्कूल में पढ़ाते समय उनके अपने कोई अधिकार नहीं थे। लेकिन उन्हें हैड मास्टर व मास्टर ने कर्तव्य बहुत बता दिए। सरकारी स्कूलों में उनकी हालत बंधुआ मजदूरों जैसी थी। इंटरशिप करने वाले विद्यार्थियों को कहा जाता है कि इंटरशिप करने वाले विद्यार्थी हर वर्ष हमारे बच्चों को खराब करने पहुंच जाते हैं। उन्हें एक साथ कई कक्षाओं को पढ़ाने का दबाव बनाया जाता है। मना करने पर ग्रेड कम लगाने की धमकी दी जाती है। डाइट में पहुंचे 48 विद्यार्थियों में से 12 विद्यार्थियों को ग्रेड कम लगाने की धमकी दी गई है। छात्राओं को रेगुलर टीचर के साथ बच्चों का दाखिला कराने के लिए घर-घर जाने के लिए कहा जाता है। कई बार तो अकेले ही भेज दिया जाता है। यहां तक कि एक छात्रा ने कहा कि उन पर कम से कम पांच-पांच बच्चे स्कूल में दाखिल कराने के लिए दबाव बनाया गया। टीचर कहते हैं कि अगर वे सर्वे नहीं करेंगी तो बच्चे स्कूल में कम हो जाएंगे। छात्राओं ने आरोप लगाया कि उन्हें धमकाया जाता है कि अगर आपने कोई शिकायत खंड शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी को की तो आपका कॅरियर खराब हो जाएगा।
हमें शिकायत दें, समाधान होगा:
जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य रफिया राम ने कहा कि अगर किसी छात्रा को इंटरशिप के दौरान दिक्कत है तो वे हमें शिकायत दे सकती है। हर छात्रा की पहचान नहीं बताई जाएगी। लेकिन उसकी समस्या हल होगी। लेक्चरर प्रवीण ने कहा कि हैडमास्टर अपनी रिपोर्ट संस्थान को भेजे। संस्थान ही बच्चों का ग्रेड तय करे।
पढ़ते हैं प्राईवेट स्कूल में सरकारी स्कूल में नाम दर्ज
एक छात्रा ने कहा कि कैथल ब्लॉक के आठ ऐसे स्कूल हैं जहां प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के नाम दर्ज हैं। ताकि स्कूल में बच्चों की संख्या अधिक बताकर स्कूल टीचर की पोस्ट बची रहे। इंटरशिप कर रहे छात्र प्रतीक ने बताया कि पूंडरी से अगोंध स्कूल में पहुंचने के लिए 90 रुपए प्रतिदिन खर्च करने पड़ते हैं। प्रतिदिन पांच घंटे खराब हो जाते हैं। लोकेश ने बताया कि कैथल से अजीमगढ़ 50 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि दो वर्ष जम्मू से जेबीटी का डिप्लोमा मिल जाता है। लेकिन यहां तीन वर्ष बाद ही डिप्लोमा दिया जाता है। कोई भी कोर्स अगर तीन वर्ष का है तो उसका डिप्लोमा नहीं डिग्री मिलती है। छात्रा ने कहा कि स्कूल हैड मास्टर व टीचर उन्हें धमकाते रहते हैं। यह भी कहा जाता है कि अगर इस बारे में बीईओ या डीईओ को बताया तो इसका असर आपके चार्ट, मॉडल, ग्राफ, ग्रेडिंग पर असर पड़ेगा। उन्हें बीमारी की हालत में भी छुट्टी का अधिकार नहीं है। आधे दिन की छुट्टी पूरे दिन की छुट्टी लगा दी जाती है। किसी भी कोर्स के बाद अगर इंटरशिप मिलती है तो उसमे गुजारा भत्ता भी दिया जाता है। शिक्षा मंत्री ने दो वर्ष पहले इंटरशिप करने वाले बच्चों को 5,000 रुपए देने का वादा किया था। यह राशि घटाकर ढाई हजार कर दी गई। लेकिन अब यह राशि भी नहीं दी।
मेहनत हम करें और श्रेय मिलता है टीचर्स को
उन्होंने कहा कि हमारे पास टीचिंग मटीरियल नहीं है। कुछ स्कूलों में ब्लैक बोर्ड तक नहीं हैं। इंटरशिप के दौरान हमारा सुधार होना चाहिए। हमें कितना समय किस कक्षा को पढ़ाना है, ये विस्तार से बताया जाना चाहिए। हमें दूर-दूर के स्टेशन दे दिए जाते हैं। जहां पहुंचने के लिए प्रतिदिन 150 रुपए किराया खर्च करना पड़ता है। हमें कोई भत्ता तक नहीं मिलता। हमें 180 दिन इंटरशिप के दौरान सरकारी स्कूलों में पढ़ाना पड़ता है। इसके बावजूद भी हमें जॉब की कोई गारंटी नहीं है। उन्हें मिड-डे मील, सर्वे और बच्चों के दाखिले के लिए लगा दिया जाता है। बच्चों का अच्छा रिजल्ट इंटरशिप करने वाले विद्यार्थियों की मेहनत के कारण आता है। लेकिन श्रेय टीचर ले जाते हैं। db
1 comment:
RIGHT KHURANA JI......
ACTUAL MEIN JBT/D.Ed./B.Ed MEIN TRAING TO HONI HI CHAHIYE PRANTU KAUN SERIOUS HOTA H TRAINING K LIYE.
DEGREE / DIPLOMA LENE K BAAD SABHI THE BEST SAMAJHHT EH KHUD KO.
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