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Tuesday, 14 April 2015

पदोन्नति में आरक्षण अब भी अधर में

** आरटीआइ के तहत मिली जानकारी में सरकार के दावों की खुली पोल
** अभी तक अधिकारी नहीं ले पाए कोई निर्णय
कुरुक्षेत्र : भले ही मनोहर सरकार प्रदेश के अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने का दम भर रही हो, असल में अभी तक ऐसा कुछ नहीं है। प्रदेश सरकार ने एक आरटीआइ के जवाब में जो उत्तर दिया है उसके अनुसार अभी तक पी राघवेंद्र राव कमेटी रिपोर्ट पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। यह मामला संबंधित अधिकारियों के पास विचाराधीन है। 
प्रदेश सरकर मंत्रिमंडल की 30 जनवरी को हुई बैठक में प्रदेश के अनुसूचित जाति के सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने का दावा किया था। मंत्रीमंडल ने पी राघवेंद्र राव कमेटी की रिपोर्ट पर अपनी मुहर लगाने का फैसला भी लिया था। जिसके अनुसार अनुसूचित जाति कर्मचारियों को पदोन्नति में 20 फीसद आरक्षण की बात कही गई थी। इस फैसले के बाद प्रदेश में लगभग 30 हजार अनुसूचित जाति कर्मचारियों को लाभ मिलना था। चंडीगढ़ में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी थी। जिसके बाद से ही अनुसूचित जाति के हजारों कर्मचारी प्रदेश में मनोहर सरकार की सराहना कर रहे थे और अनुसूचित जाति कर्मचारियों के संगठनों ने सरकार के इस फैसले पर खुशी जताई थी। जबकि कैबिनेट के फैसले के लगभग ढाई माह पूर्व भी स्थिति जस की तस है। इस मामले में एडवोकेट दिनेश कुमार ने राज्य जनसूचना आयोग से जनसूचना अधिकारी के तहत इस फैसले की प्रति और कैबिनेट में हुई राघवेंद्र राव कमेटी के मामले में क्या निर्णय लिया गया है इसकी सूचना मांगी थी। राज्य जनसूचना अधिकारी ने याचिकाकर्ता को 1 अप्रैल को भेजी सूचना के अनुसार बताया गया है कि मामले में जो सूचना मांगी गई है वो पी राघवेंद्र राव की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट से संबंधित है। रिपोर्ट से संबंधित मामले में अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। यह मामला निर्णय के लिए संबंधित अधिकारीगण के सामने प्रस्तुत किया गया है। 
सामान्य श्रेणी के कर्मचारी कर रहे थे न्यायालय जाने की तैयारी 
वहीं, मामले में प्रदेश सरकार के निर्णय के बाद सामान्य श्रेणी के कर्मचारी कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे थे। कुवि के पूर्व सहायक कुलसचिव देवेंद्र सचदेवा का कहना है कि वो इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय तक की लड़ाई लड़ चुके हैं। उन्होंने ही अपने वकील के मार्फत इसकी जानकारी मांगी थी। जिसके बाद न्यायालय में जाया जा सके।                                                          dj

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