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Friday, 15 May 2015

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड : समय पर रिजल्ट का रिकॉर्ड बनाने के फेर में 4 फीसदी का पड़ गया फर्क

भिवानी : समय पर रिजल्ट घोषित करने के फेर में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड इस बार भारी गच्चा खा गया। अब कुल परिणाम में करीब 4 फीसदी का अंतर पड़ रहा है। इसे सार्वजनिक करे तो किरकिरी, न करे तो बच्चों के भविष्य का सवाल। बोर्ड के अधिकारियों में भी कुल पास प्रतिशत में फर्क को लेकर मतभेद है। परिणाम में यह फर्क रोके गये परिणाम जिसे रिजल्ट लेट (आरएल) कहा जाता है, के चक्कर में आया है। बताया जा रहा है कि कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग की खामियों के चलते हजारों छात्र-छात्राओं का परिणाम लेट दिखाया गया।
अब दसवीं के आरएल परिणाम घोषित होने के बाद कुल पास प्रतिशत 41. 28 से 45 फीसदी पहुंचना तय है। अधिकारी परेशान हैं। बोर्ड प्रशासन ने परिणाम घोषित होने के नौ दिन बाद भी जिलावार स्कूलों का परिणाम जारी नहीं किया। यह देरी और चुप्पी संदेह पैदा कर रही है। बार-बार संपर्क करने पर भी बोर्ड की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल पा रहा है।
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा अबकी बार नम्बर वन बनने की चाहत में 35 दिन के भीतर दसवीं व बारहवीं के परीक्षा परिणाम तैयार कर दिए। आलम यह था कि परिणाम की कोई तिथि पहले से घोषित नहीं थी।
यह जल्दबाजी का ही नतीजा है कि परीक्षा परिणाम में दसवीं का पास प्रतिशत कम रह गया। जानकारों का मानना है कि अगर परीक्षा परिणाम आरएल न हुए तो स्वाभाविक तौर पर पास प्रतिशत बढ़ जाता है।
अधिकांश आरएल उन बच्चों के हैं जिन्होंने फीस का भुगतान भी कर दिया। फिर भी रिजल्ट रोक दिया गया। कई तो स्कूल ऐसे हैं जिनके यहां सभी छात्र-छात्राओं की फीस जमा न दिखाकर परिणाम आरएल घोषित कर दिए गए। बोर्ड प्रशासन के पांव तले भी उस समय जमीन खिसक गई जब बड़ी संख्या में स्कूल संचालक व अभिभावक परीक्षा परिणाम घोषित करवाने के लिए बोर्ड कार्यालय में पहुंचने लगे।
अधिकांश केस ऐसे थे जिन्होंने पहले से ही फीस अदा कर रखी थी। इस प्रकार का एक नजारा विद्यालय शिक्षा बोर्ड कार्यालय में देखने को मिला। यहां पहुंचे कैथल के एक स्कूल संचालक ने बताया कि उसके स्कूल के सभी बच्चों का परीक्षा परिणाम फीस भुगतान न होने के कारण रोका गया है जबकि उसके पास समय पर फीस अदा करने की रसीद थी। बोर्ड ने भी अपनी गलती को स्वीकारा।
ऐसे में यह माना जा रहा है कि कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में खामियों के चलते इतनी बड़ी संख्या में गड़बड़ी हुई है। यूं भी बोर्ड प्रशासन ने परीक्षा परिणाम तैयार करवाने का कार्य देश की एक नामी कम्प्यूटर कन्सलटेंसी कम्पनी को दे रखा है। यह भी कहा जा रहा है कि बोर्ड द्वारा जल्दी परिणाम घोषित करने के चक्कर में कम्पनी से तैयार करवाया गया परीक्षा परिणाम बोर्ड में क्रॉस चैक नहीं किया गया जिस कारण यह गलती हुई है।
इसलिए फंसा पेच
कई बार विद्यार्थियों की फीस या अन्य विषयों के मार्क्स के कारण रिजल्ट को रोकना पड़ता है। इसे परिणाम में रिजल्ट लेट (आरएल) की श्रेणी में रखा जाता है। इस बार कई ऐसे विद्यालयों को भी आरएल में डाल दिया जो फीस दे चुके थे। हड़बड़ी के चक्कर में परिणाम में लगभग 4 प्रतिशत का फर्क आ गया जो अफसरों की परेशानी का सबब बन गया।
जिलावार रिजल्ट नहीं
मूल परिणाम घोषणा के 9 दिन बाद भी बोर्ड ने जिलावार रिजल्ट जारी नहीं किया। इस पर कोई सटीक जवाब भी नहीं दिया जा रहा है। यह देरी ही शंका पैदा कर रहा है। माना जा रहा है कि अचानक रिजल्ट बढ़ने के चलते ही बोर्ड इस पर मंथन कर रहा है। उधर, स्कूल वाले भी परेशान हैं कि आखिर उनके यहां का असली रिजल्ट है क्या।                                            dt

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