चंडीगढ़ : हरियाणा की मनोहर सरकार को सत्ता संभाले छह माह बीच चुके हैं, लेकिन अभी तक उसके अफसर कर्मचारियों का असंतोष खत्म करने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। प्रदेश में हजारों कर्मचारी आंदोलनरत हैं, लेकिन न तो उनकी मांगों पर कोई गौर हो रहा है, न ही समझौता वार्ताओं का कोई नतीजा सामने आ रहा।
पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल की भर्तियों में अनियमितताओं को इस आंदोलन की अहम वजह माना जा रहा है। पंजाब के समान वेतनमान देने और कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की मांगों को लेकर यदि नजरअंदाज कर दिया जाए तो हजारों कर्मचारी आंदोलनरत हैं। तीन हजार कंप्यूटर शिक्षक पिछले 105 दिनों से पंचकूला स्थित शिक्षा निदेशालय पर आंदोलन कर रहे हैं। मार्च 2015 में उनका तीन साल का अनुबंध खत्म हो चुका। रुका हुआ वेतन व सिक्योरिटी वापस दिलाने समेत शिक्षा विभाग में समायोजन को लेकर उनका आंदोलन चल रहा है।
प्रदेश सरकार ने 2622 कंप्यूटर लैब सहायकों की सेवाएं अप्रैल में खत्म कर दी हैं। 24 अप्रैल 2015 को उनका अनुबंध खत्म हो चुका है। 20 माह का वेतन भी रुका हुआ है। 55 दिन से लैब सहायक पंचकूला शिक्षा निदेशालय पर आंदोलनरत हैं। मुख्यमंत्री आफिस के अधिकारियों से लेकर राज्य सरकार का कोई मंत्री तक उन्होंने नहीं छोड़ा, जिसके पास न्याय की गुहार नहीं लगाई गई। करीब छह हजार शिक्षा प्रेरक एक साल से वेतन के गुहार लगा रहे हैं। उनका 20 माह का वेतन रुका हुआ है। अब न्याय के लिए उन्हें होईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी है। करीब 15 हजार गेस्ट टीचर भी आंदोलनरत हैं। हाईकोर्ट ने उन्हें हटाने का आदेश जारी कर रखा है। करीब साढ़े चार हजार गेस्ट टीचर हटाकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट भी दी जानी है। गेस्ट टीचर नियमितीकरण की पालिसी नहीं बनाए जाने से भी आहत हैं। पात्र अध्यापक संघ की ओर से राज्य सरकार पर गेस्ट टीचर्स को हटाकर उन्हें नौकरियां प्रदान करने का दबाव बनाया जा रहा है। सरकार 20 हजार 916 पदों की भर्ती प्रक्रिया पहले ही रद कर चुकी है। स्वास्थ्य सुपरवाईजर संघ के प्रदेशाध्यक्ष राममेहर वर्मा के अनुसार एमपीएचडब्ल्यू मेल 860 पदो की भर्ती प्रक्रिया रद होने से स्वास्थ्य सेवाओं पर विपरीत असर पड़ेगा। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की ओर से ठेका कर्मियों की छंटनी के विरोध में पहले चरण का आंदोलन किया जा चुका है और दूसरे चरण में 28 मई से दो जून तक जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन होंगे। संघ के महासचिव सुभाष लांबा के अनुसार कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की पालिसी होने के बावजूद राज्य सरकार के अधिकारी ऐसी कोई नीति होने से इनकार कर रहे हैं।
बैकडोर से हुई थीं नियुक्तियां
"प्रदेश में कर्मचारियों के जो भी आंदोलन हो रहे हैं, उनकी नियुक्तियां पिछली सरकार ने बैक डोर से की थी। इसमें पारदर्शी प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। कई कोर्ट केस चल रहे हैं। उनके जो भी फैसले आएंगे, सरकार उसके मुताबिक काम करेगी। अन्यथा इन आंदोलनों का कोई अर्थ नहीं है। हमारी सरकार रोजगार छीनने की कतई पक्षधर नहीं है। हम सही ढंग से नियमों के अनुसार पारदर्शी तरीके से रोजगार देने के पक्षधर हैं।"-- मनोहर लाल, मुख्यमंत्री हरियाणा।
हुड्डा के कारनामों की किताब छपे
"पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने हजारों लोगों से धोखा किया है। अपने कार्यकाल में बिना पोस्ट क्रिएट किए हजारों लोगों को नौकरियों पर रख लिया। हुड्डा द्वारा किए गए कारनामों की एक किताब छपनी चाहिए। उसे गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड के लिए भेज देना चाहिए। इसके लिए मैं प्रदेश सरकार से सिफारिश करूंगा।"-- अनिल विज, स्वास्थ्य मंत्री, हरियाणा। dj
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