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Sunday, 3 May 2015

उफ! ये क्या हो रहा है? : घोर अनिश्चितता

15 हजार अतिथि अध्यापकों पर अनिश्चितता की तलवार, 2600 कंप्यूटर लैब सहायकों की बर्खास्तगी और अब 2007 के बाद की सभी 20916 पदों की भर्ती प्रक्रिया रद करने का आदेश ़ ़ ़उफ! ये क्या हो रहा है? सवाल उठ रहा है कि प्रशासनिक तौर पर घोर अनिश्चितता की ओर बढ़ रहे राज्य में भविष्य का दृश्य क्या होगा? आनन-फानन में दूरगामी असर के बड़े फैसले ले रही सरकार क्या भावी स्थिति की गंभीरता का अहसास कर रही है? नई भर्ती में भी कानूनी तथा अन्य अड़चनें सरकार के कदम रोक रही हैं। कर्मचारी चयन आयोग के नए फैसले की चपेट में वे अभ्यर्थी भी आएंगे जो लिखित परीक्षा के साथ साक्षात्कार भी दे चुके और नौकरी मिलने की सूचना की प्रतीक्षा कर रहे थे। सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि लाखों लोगों से सीधे जुड़े फैसलों से पहले सरकार व्यापक जनहित के सरोकार और दायित्व पर गंभीरता से विचार करती है या नहीं? पिछले आठ साल के दौरान चली भर्ती की समस्त प्रक्रिया को ही संदिग्ध मानने का उसका आधार क्या है? कार्य शैली में अंतर होना स्वाभाविक है पर सरकार बदलते ही क्या नियम व प्रक्रिया की परिभाषा भी बदल जाती है? पिछली सरकार के फैसले वर्तमान को संदिग्ध लगे पर यदि भविष्य में बनने वाली सरकार ने वर्तमान के तमाम फैसलों को संदेहास्पद, अतार्किक ,नियम विरुद्ध ठहरा कर प्रक्रिया को अवैध करार दे दिया तब क्या होगा? कर्मचारियों, अभ्यर्थियों को सरकारों के पाटों में पीसने का सिलसिला तत्काल बंद होना चाहिए। राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को जनता के प्रति सरकार के मूल दायित्वों को पलीता लगाने की छूट नहीं दी जानी चाहिए। सरकार व्यापक संदर्भो में मंथन करे कि वर्तमान स्थिति का क्या उसके पास तात्कालिक व प्रभावशाली विकल्प है? वास्तविकता है कि लगभग सभी विभागों में कर्मचारियों की भारी कमी है और ऐसे में सरकार चाहे लाख दावे करे लेकिन कार्य संचालन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से वह रोक नहीं सकती। शिक्षा विभाग अध्यापकों की कमी से सर्वाधिक त्रस्त है। विडंबना देखिये कि विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन सरकारी फैसलों और अदालती निर्णयों के चलते अध्यापकों की संख्या घट रही है। कर्मचारी चयन आयोग को नए निर्णय का औचित्य साबित करना होगा। भर्ती नीति की खामियां दूर करना और उसे स्थिर व त्रुटिहीन बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए। माना कि सरकार अपने स्तर पर सही है लेकिन उसे आमजन की कसौटी पर भी तो स्वयं को सही साबित करना होगा।                                                             djedtrl

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