सोनीपत : शिक्षा विभाग एक गलती की सजा भुगतने के लिए विद्यार्थियों को तैयार हो जाना चाहिए। शिक्षा विभाग की ओर से रेशेलाइजेशन की जो प्रक्रिया अपनाई है उससे शिक्षकों को तो अपने स्कूल से हाथ धोना ही पड़ेगा साथ ही विद्यार्थियों को विषय विशेषज्ञ की कमी खलनी भी अब तय है। क्योंकि शिक्षा विभाग की आेर से जो नीति बनाई जा रही है उसके तहत अब हिंदी के शिक्षकों को ही संस्कृत भी पढ़ानी होगी। ऐसे में अब जो शिक्षक स्कूल में संस्कृत पढ़ा रहे हैं उनके लिए तो वहां जगह बचेगी ही नहीं। यह हाल अकेले संस्कृत का ही नहीं बल्कि साइंस वाले को अब गणित पद भी पढ़ाना होगा।
छात्र संख्या शिक्षक
1से 20 1
21 से 60 2
61 से 90 3
91 से 120 4
121 से 150 5
151 से 200 4
जेबीटीप्लस एचटी
201से 240 5
241 से 280 6
दावा बेहतर अनुपात का, लेकिन हकीकत से दूर
शिक्षकों के मुताबिक शिक्षा विभाग का छात्र-शिक्षक अनुपात को लेकर जो दावा 20 विद्यार्थी पर एक शिक्षक का किया जा रहा है वह सही नहीं है। क्योंकि शुरुआत में तो एक से 20 तक एक शिक्षक की नियुक्ति की जाती है, लेकिन जैसे ही आंकड़ा 61 से 150 तक अनुपात 30 का हो जाता है। महत्वपूर्ण यह बात भी है कि शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही रेशेलाइजेशन प्रक्रिया में नर्सरी के विद्यार्थियों की गणना की ही नहीं जाती जिन्हें पढ़ा जेबीटी शिक्षक ही रहे हैं।
स्कूल खुलते ही करेंगे विरोध
"शिक्षा विभाग की रेशेलाइजेशन की प्रक्रिया गलत है। यह विभाग का एक तुगलकी फरमान है। इसमें मुख्य अध्यापक का का विषय अध्यापक बनाकर दर्शाया जा रहा है, जोकि नियम अनुसार सही नहीं है। ग्रीष्मकालीन अवकाश खत्म होते ही हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।''-- दिनेश छिक्कारा,प्रवक्ता, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ। db
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