कुरुक्षेत्र : सरकारी स्कूलों में बच्चों का भविष्य संवारने का जिम्मा जिन शिक्षकों पर है, जिनका अपना ही भविष्य सुरक्षित नहीं है। पढ़ने में भले ही यह अजीब लगे, लेकिन यह प्रदेशभर के हजारों शिक्षकों का दर्द है। 1995 से लेकर 2014 तक की अलग-अलग आठ शिक्षक भर्तियों पर कोर्ट केस चल रहे हैं।
ऐसे में कोर्ट की तारीख के नजदीक आते ही शिक्षकों के पसीने छूटने शुरू हो जाते हैं और वे पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते। तारीख आने पर इन शिक्षकों को कोर्ट के चक्कर भी काटने पड़ते हैं, ताकि वे वकील को अपने पक्ष के बारे में पूरी जानकारी दे सकें। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान विनोद चौहान ने कहते हैं कि 1998 में लगे शिक्षक पिछले साल ही नियमित हुए हैं। हजारों शिक्षकों के दिल में कोर्ट केस के कारण डर बैठा रहता है। जब तक शिक्षक फ्री माइंड नहीं होगा तब तक वह विद्यार्थियों को बेहतर तरीके से कैसे पढ़ा सकता है।
वर्ष 2000 में भर्ती हुए विनोद चौहान, सूबे सिंह सुजान और धर्मवीर ने बताया कि पिछले कई सालों से उन्हें कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कोर्ट केस के कारण शिक्षक मानसिक तौर पर भी परेशान रहते हैं। दीपक कुमार ने कहा कि 1995 से लेकर 2014 तक की हुई शिक्षक की भर्तियों पर कोर्ट केस होने से साफ है कि सिस्टम में खामी है। सिस्टम की खामी दूर ना होने के कारण शिक्षकों को भर्ती होने के बाद भी कोर्ट में खड़ा होना पड़ रहा है। सरकार और अधिकारियों को मिलकर पारदर्शिता बढ़ाने की पहल करनी चाहिए।
इधर, 9,455 को ज्वाइनिंग से पहले ही विवादों में
10 महीने पहले 9,455 जेबीटी की चयन लिस्ट जारी हुई। लेकिन आज तक ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिले। वजह, उनकी पात्रता परीक्षा, अनुभव प्रमाणपत्र संदेह के घेरे में हैं। अंगूठों के निशान की जांच चल रही है।
42 हजार शिक्षकों को नाैकरी की चिंता
1995 भर्ती में- एक हजार लेक्चरर
1997-98 में- पांच हजार (89 दिनों का अनुबंध)
2000 में- 3206 जेबीटी
2004 में- चार हजार
2007 में- एक हजार (जिला परिषद के तहत लगे)
2008 में पीटीआई ड्राइंग- 2800
2010-11 में- 8300
2011 में- आठ हजार लेक्चरर
2014 में- नौ हजार जेबीटी db
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