चंडीगढ़ : हरियाणा के सरकारी स्कूलों में तैनात शिक्षकों को बिना विश्वास में लिए अहम फैसले लेना शिक्षा निदेशालय को भारी पड़ रहा है। बीते डेढ़ साल में छह महत्वपूर्ण आदेश लागू कर उच्च अधिकारी भारी विरोध होने पर कदम पीछे हटा चुके हैं। करोड़ों रुपये बर्बाद हुए सो अलग, किरकिरी अलग हुई।
निदेशालय के आदेशों पर पूरी तरह से अमल हो पाने का स्कूल शिक्षा विभाग ने कड़ा संज्ञान लिया है। वापस लिए गए निर्णयों की समीक्षा कर भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने पर विचार किया जा रहा है।
विभाग के उच्च अधिकारी अहम निर्णयों के मामले में समन्वय समिति गठित करने पर भी विचार कर रहे हैं। इससे सरकार की नीतियों को स्कूलों में लागू करना आसान होगा। स्कूल शिक्षा विभाग में निर्णय लागू कर वापस लेने की परंपरा तत्कालीन प्रधान सचिव सुरीना राजन के समय शुरू हुई थी, जो सिलसिला अभी तक चल रहा है। सुरीना राजन का पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल के साथ छत्तीस का आंकड़ा था। इसके चलते कुछ ऐसे निर्णय हुए जो शिक्षकों को मंजूर नहीं थे और शिक्षकों ने उनका विरोध करते हुए कक्षाओं तक का बहिष्कार कर दिया था।
वर्तमान सरकार में शिक्षा निदेशालय ने दो ताजा फैसलों को पलटा है। दोनों ही शिक्षकों से जुड़े हुए थे। ग्रीष्मकालीन अवकाश में री-अपियर वाले छात्रों को विशेष कोचिंग का निर्णय निदेशालय स्तर पर लिया गया और अंतिम कार्य दिवस में शाम के समय आदेश जारी कर दिए गए। इसका शिक्षकों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया।
शिक्षा विभाग को ये निर्णय इसलिए भी बदलना पड़ा, चूंकि बच्चे भी कक्षाएं लगाने नहीं आए। इसके साथ ही मौलिक मुख्याध्यापकों को 18 की बजाए 36 पीरियड आवंटित किए जाने का निर्णय भी वापस लेने जा रहा है। मुख्याध्यापकों ने इसका कड़ा विरोध दर्ज कराया था। इसे देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग अब आगे से फूंक-फूंक कर कदम रखने की तैयारी कर रहा है।
वापस लिए गए निर्णय :
- टीचर नीड असेसमेंट टेस्ट
- समेस्टर सिस्टम
- लेक्चरर का नाम पीजीटी करना
- अनुबंधित पीजीटी को आरएमएसए से वेतन देना
- री-अपियर छात्रों के लिए विशेष कक्षाएं
- मौलिक मुख्याध्यापकों को वर्क लोड अनुसार पीरियड। dj
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