कैथल : प्रदेश सरकारने जिले के सरप्लस गेस्ट टीचर्स की छुट्टी कर दी है। गेस्ट टीचर्स के परिवारों में रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। दस साल तक स्कूलों में पढ़ा रहे थे, अब कोई दूसरा काम भी नहीं कर सकते। जिनके घरों में कोई कमाने वाला नहीं है और बूढ़े मां-बाप बीमार पड़े हैं। ऐसे परिवारों को सबसे ज्यादा परेशानी हो गई है।
केस-1 : कैसे होगा बीमार पति का इलाज : संतोष
कलायत निवासी संतोष राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में सामाजिक पढ़ा रही थी। संतोष को भी दूसरे अतिथि अध्यापकों की तरह उम्मीद थी कि नियमित हो जाएंगे। संतोष ने बताया कि उसका पति बिंदू गुप्ता दुकान चलाकर गुजारा करते थे। लेकिन तीन वर्ष पहले उन्हें हार्ट अटैक गया। इस पश्चात दवाइयां चली हुई हैं। लेकिन हालत ठीक रहने पर उन्हें दिल्ली के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। जहां हर दिन हजारों रुपए का खर्च हो रहा है। सास सुनहरी देवी भी ह्रदय रोग से पीड़ित है। इस खर्च के अलावा दोनों बच्चों की पढ़ाई पर भी खर्च हो रहा है। परिवार पहले की कर्ज में डूबा हुआ है। ऊपर से मेरी भी नौकरी चली गई है। अब समझ नहीं रहा है। कैसे घर चलेगा और किस तरह कर्ज उतारूंगी। किस तरह बीमार पति का इलाज करवाऊंगी।
केस-2 : अब कहां से चुकाएंगे मकान की किस्त
कोटड़ा निवासी मैथ टीचर सतबीर एसएस अध्यापिका संतोष दोनों सरकारी स्कूल में बतौर अतिथि अध्यापक तैनात थे। शिक्षा विभाग ने दोनों को सरप्लस करार देकर रिलीव कर दिया है। दंपती ने बैंक से कर्ज लेकर फ्रैंड्स कॉलोनी कैथल में मकान बनाया था। लेकिन उसकी लाखों रुपए की किस्त भी बकाया है। सतबीर का कहना है कि दोनों बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए कुछ वर्ष पहले शहर चले आए थे। गांव का मकान भी बेच दिया गया। लेकिन उधर में लटके मकान के लिए कर्ज लेना पड़ा। उम्मीद थी कि सरकार नियमित कर देगी। ऐसे में कर्ज भी धीरे-धीरे उतार दिया जाएगा। लेकिन अब रिलीविंग आर्डर ने सारे सपने ही तोड़ दिए। दोनों बेरोजगार हो गए हैं। सरकार को गेस्ट अध्यापकों को हटाने से पहले दोबारा विचार करना चाहिए। db
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.