चंडीगढ़ : प्रदेश के पहली से आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में टीचर्स के पदों की संख्या दोबारा तय की जा रही है। यह संख्या एक मई, 2015 को इन स्कूलों में दाखिल बच्चों को आधार मानकर तय की जाएगी। इसका प्रारूप तैयार हो चुका है। पदों की संख्या तय करते समय गेस्ट टीचर्स के पदों को रिक्त माना जाएगा। जितने भी रिक्त पद होंगे, उन्हें भरने के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को आग्रह पत्र भेजा जाएगा। रेगुलर भर्ती होते ही सभी गेस्ट टीचर्स को हटा दिया जाएगा।
मौलिक शिक्षा विभाग टीचर्स के पद तय करने के मानदंड इसी सप्ताह जारी कर सकता है। इसके लिए पंचकूला जिले को पायलट के तौर पर चुना है। पंचकूला के मानदंड अपनाकर टीचर्स की संख्या तय की जा रही है। उसे आधार बनाकर प्रदेश में टीचर्स की संख्या तय की जाएगी।
छठी से आठवीं कक्षा तक के स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या के मुताबिक सेक्शन बनाए जाएंगे। किसी भी कक्षा में एक से 50 स्टूडेंट्स का एक सेक्शन होगा, 51 से 100 पर दो, 101 से 150 पर तीन और 151 से 200 पर चार सेक्शन होंगे। साइंस टीचर को गणित पढ़ाना होगा। संस्कृत टीचर को हिंदी पढ़ानी होगी और सोशल स्टडीज टीचर को इंग्लिश पढ़ानी होगी। जिस स्कूल में हिंदी, संस्कृत या किसी अन्य विषय के टीचर होंगे तो उनके पद पीरियड के अनुसार तय होंगे। अगर एक ही टीचर दोनों विषय पढ़ाएगा और उस टीचर के पीरियड पूरे हो जाएंगे तो दूसरे टीचर का पद समाप्त हो जाएगा।
किसी भी प्राइमरी स्कूल में जेबीटी के कम से कम दो टीचर जरूर होंगे। वैसे स्टूडेंट्स की संख्या अगर किसी स्कूल में एक से 60 तक होगी तो टीचर्स के दो पद होंगे। अगर संख्या 60 से कम होगी तो भी दो ही टीचर रखे जाएंगे। स्टूडेंट्स 61 से 90 तक होंगे तो तीन टीचर्स, 91 से 120 तक पर चार, 121 से 150 पर पांच, 151 से 200 पर पांच टीचर्स और एक मुखिया का पद दिया जाएगा।
"अभी काफी स्कूलों में बच्चे कम हैं तो टीचर्स ज्यादा हैं और कहीं पर बच्चे ज्यादा हैं तो टीचर्स कम हैं। कई साल पहले स्कूलों में ये पद स्वीकृत निदेशालय ने किए थे। अब हमने एक मई, 2015 को स्कूलों में दाखिल बच्चों को आधार मानकर टीचर्स के पद नए सिरे से तय करने जा रहे हैं। यह प्रक्रिया 30 जून तक पूरी हो जाएगी। इसके बाद स्कूलों में टीचर्स के सही रिक्त पदों की संख्या का पता चल जाएगा। हम गेस्ट टीचर्स के पदों को भी मूल पदों में रिक्त मानेंगे। जिब रेगुलर टीचर्स आ जाएंगे तो गेस्ट टीचर्स को हटाना पड़ेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में यह विषय पहले ही तय हो रखा है।"-- आरएस खर्ब, निदेशक, मौलिक शिक्षा hb
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