** अपने बच्चों को फेल कराने की गुहार लगा रहे हैं 30 हजार से ज्यादा अभिभावक, धरने पर बैठने तक की दे डाली चेतावनी
रेवाड़ी : मास्टरजी! म्हारे बालकां नै एबीसीडी तो आंदिए नी, पास क्यूं करो सो, फैल कर दयो, नइ तै आगै जाकै यें के करैंगे। कुछ ऐसी ही फरियाद आजकल ग्रामीण इलाकों के लोग स्कूलों में अध्यापकों के सामने लगा रहे हैं। 29 हजार जेबीटी टीचर्स ने 30 हजार से ज्यादा अभिभावकों की ऐसी ही शिकायतें दर्ज की हैं। अब राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ सीएम और शिक्षामंत्री तक उनकी बात पहुंचाएगा।
दरअसल, बच्चों को पढ़ाई में कमजोर होते हुए भी लगातार पास किया जा रहा है। अभिभावकों का कहना है कि ऐसा होता रहा तो बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा। दरअसल, प्रदेश के करीब 13,500 मिडिल स्कूलों (प्राइमरी की 8936 पाठशाला शामिल) में पढ़ रहे इन विद्यार्थियों के अभिभावक अपने बच्चों को फेल कराने के लिए गुहार लगा रहे हैं। पहले स्कूल हेडमास्टर्स को शिकायतें दीं। अब धरने की चेतावनी दी है।
अभिभावकों में यह जागरूकता इसलिए आई है, क्योंकि उनके बच्चे बड़ी कक्षाओं में जाकर फेल हो रहे हैं। शिक्षा विभाग का कहना है कि आरटीई (राइट टू एजुकेशन) कानून के तहत बच्चों को फेल नहीं किया जा सकता, बेशक वह स्कूल आए या नहीं। विपक्ष भी कह रहा है कि एक्ट में संशोधन केंद्र ही कर सकता है, राज्य सरकार के पास यह अधिकार नहीं है। इस बार 10वीं, 12वीं का खराब रिजल्ट इसी प्रावधान का नतीजा है। इस पर समीक्षा कर तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए।
सीएमऔर शिक्षामंत्री तक पहुंचेगी 30 हजार से ज्यादा अभिभावकों की शिकायतें
प्रदेश के 29 हजार जेबीटी शिक्षकों के पास 30 हजार से ज्यादा अभिभावकों की शिकायतें लिखित में भी पहुंच चुकी हैं। शिक्षकों ने इसकी रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय के आरटीई विभाग के पास भेजने के साथ-साथ राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ, हरियाणा के पास भी भेज दी है। संघ के प्रदेश महासचिव दीपक गोस्वामी का कहना है कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल और शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा से मिलकर इन शिकायतों से अवगत कराया जाएगा।
इसलिए तैयार की गई रिपोर्ट
2009 में आरटीई एक्ट लागू होने के बाद शिक्षक बच्चों को चाहते हुए भी फेल नहीं कर सकते। लेकिन, अभिभावक इसके लिए शिक्षकों को जिम्मेदार मानते हैं। इसलिए राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने अभिभावकों की शिकायतों की रिपोर्ट तैयार करने को कहा था।
हमारी सरकार ने भी एक्ट में संशोधन की सिफारिश की थी : भुक्कल
कांग्रेस की हुड्डा सरकार में शिक्षामंत्री रहीं गीता भुक्कल ने माना कि बच्चों को फेल करने का प्रावधान गलत है। हमें मजबूरन कक्षा 5वीं और 8वीं का बोर्ड खत्म करना पड़ा। 2014 में दिल्ली बैठक में भी हमने यह मामला उठाया था। केंद्र को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वह आरटीई में फेल करने के प्रावधान में संशोधन करे। कक्षा में 80 प्रतिशत हाजिरी अनिवार्य करने की सिफारिश भी की थी।
5वीं, 8वीं में बोर्ड लागू करने पर समिति कर रही विचार, केंद्र को भेजेंगे शिक्षा सुधार संबंधी रिपोर्ट
"अभिभावकों की शिकायतों को देखते हुए सेमेस्टर सिस्टम पूरी तरह से खत्म करने का निर्णय लिया है। पहली से 8वीं तक के बच्चों के मंथली टेस्ट शुरू कर दिए हैं। 5वीं और 8वीं में बोर्ड फिर से लागू करने को लेकर हमारी शिक्षा सलाहकार समिति विचार कर रही है। जल्द ही शिक्षा सुधार को लेकर रिपोर्ट केंद्र सरकार के सामने रख दी जाएगी।"-- प्रो. रामबिलासशर्मा, शिक्षामंत्री
मेरे पोतों को फेल करो, नहीं तो धरने पर बैठ जाऊंगा : बलवंत
गांव बोहतवास के बलवंत सिंह का कहना है, 'मेरा एक पोता चौथी और दूसरा तीसरी में है। दोनों पढ़ाई में इतने कमजोर है कि दूसरी का सिलेबस भी नहीं आता। अगर शिक्षक उन्हें इसी तरह पास करते रहे तो उनका भविष्य चौपट हो जाएगा। यह कसा कानून बन गया कि हम बच्चों को योग्यता के हिसाब से कक्षा में नहीं बैठा सकते। एक सप्ताह का समय दिया है, अगर फेल नहीं किया तो स्कूल के सामने धरने पर बैठ जाऊंगा।'
आरटीई में ये प्रावधान
- 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा दी जाएगी
- किसी भी बच्चे से उसकी जाति या उम्र का प्रमाण पत्र नहीं लिया जाएगा
- किसी भी बच्चे को दाखिला देते समय कोई कंडीशन नहीं रखी जाएगी
- किसी भी बच्चे को फेल नहीं किया जाएगा बेशक वह पढ़ाई करने आए या नहीं db
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