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Saturday, 20 June 2015

नई शिक्षा नीति में ग्रामीण इलाकों पर फोकस

** ग्रास रूट लेवल पर आधारित होगी नई नीति, विभिन्न टीमें 20 सवालों का सर्वे फार्म लेकर जाएंगी गांव 
** इसी सत्र में सामने जाएगी नीति
सोनीपत : खेलनीति के बाद युवाओं से से सबसे अधिक प्रभावी रूप से जुड़ने वाली शिक्षा नीति को लेकर भी काम शुरू हो गया है। शिक्षा नीति को लागू करने से पहले इससे पूर्व की सभी नीतियों की समीक्षा की जा रही है। शिक्षा विभाग की ओर से इसके लिए विशेषज्ञों की विशेष टीम भी गठित की है जो केवल राजकीय स्कूली सिस्टम से लेकर निजी संस्थान की शिक्षा व्यवस्था का भी जायजा ले रही है। नई नीति ग्रास रूट लेवल पर आधारित रहेगी। इसलिए ग्रामीण आंचल की मौजूदा स्थिति का आंकलन किया जाएगा। नीति के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करने के लिए इसी सत्र का समय निर्धारित किया गया है। 
नई शिक्षा नीति के बारे में हुई थी विशेष बैठक 
"मानव संसाधन विकास शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में हाल ही में नई शिक्षा नीति के बारे में विशेष बैठक हुई थी। इसी दौरान बैठक में एनसीईआरटी के तहत नई शिक्षा नीति को ग्रास रूट लेवल से शुरू करने का निर्णय लिया गया था।''-- नंद किशोरवर्मा, सहायक निदेशक, शिक्षा विभाग। 
शिक्षा स्तर जांचने की भी प्रक्रिया होगी 
विद्यार्थियों के शिक्षा स्तर को जांचने के लिए 13 बिंदु रखे गए हैं। इन प्वाइंट के आधार पर ही विद्यार्थियों का शैक्षणिक मानसिक स्तर जांचा जाएगा। इसके लिए एक अलग सॉफ्टवेयर भी स्कूलों को उपलब्ध करवाया जाएगा। यही नहीं नई शिक्षा नीति के लिए जिला स्तर पर जिला शिक्षा अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा खंड स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारी नोडल अधिकारी होगी। इस संदर्भ में शिक्षा अधिकारियों से राय भी ली जा चुकी है। नई नीति के लिए नीति के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने 20 प्रश्नों का प्रश्न पत्र तैयार किया है। इन प्रश्नपत्रों को सुझावों के लिए गांव स्तर पर भेजा जाएगा। 
शिक्षा नीति का यह है उद्देश्य 
नई शिक्षा नीति का उद्देश्य विद्यार्थियों को दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना शिक्षा स्तर को ऊंचा उठाना है इसी उद्देश्य के तहत ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े राजकीय स्कूलों की अलग आईडी बनेगी। इससे शिक्षा अधिकारियों की ओर से जारी आदेश नई जानकारी तुरंत स्कूल टीचर को मिल सकेगी। 
हर दस साल में बदलना होता है सिलेबस
गौरतलब है कि स्कूलों के विद्यार्थियों को सुविधा आधुनिक शिक्षा देने के लिए हर दस वर्ष बाद सिलेबस बदलना होता है। पहली से पांचवीं कक्षा तक की पुस्तकें हर राज्य अपने स्तर पर ही तैयार करता है लेकिन छठी से कक्षा 12वीं तक सिलेबस राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद तैयार करता है। नई नीति ग्रास रूट लेवल पर आधारित रहेगी। इसके लिए ग्रामीण आंचल की मौजूदा स्थिति का आंकलन कर शिक्षा व्यवस्था का भी जायजा लिया जाएगा।                                                         db

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